लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निर्यात क्षमता में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पिछले पांच वर्षों की औद्योगिक नीतियों का परिणाम है कि प्रदेश का निर्यात 86 हजार करोड़ से बढ़कर एक लाख 56 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है. अब इसे और बढ़ाने के लिए जिलों को पोटेंशियल हब के रूप में विकसित किया जाएगा.


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देश के 50 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट हो रहा शुरू
केंद्र सरकार की तरफ से देश में चयनित 50 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है. जिसके तहत उत्तर प्रदेश के 6 जिले मुरादाबाद, कानपुर, वाराणसी, भदोही, आगरा और गौतमबुद्धनगर को चुना गया है. इनमें छोटे शहरों से निर्यात बढ़ाने के लिए नए व्यवसायों, ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर और गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा. साथ ही एक्सपोर्ट प्रमोशन, मैन्यूफैक्चरिंग और रोजगार सृजन के लिए ग्रास रूट लेवल पर कार्य किया जाएगा.


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उपभोक्ता राज्य से निर्यातक राज्य बनाने का प्रयास जारी
आपको बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में सर्वाधिक 16.5 फीसदी आबादी है. देश में सबसे अधिक एमएसएमई 90 लाख (14.2 फीसदी) भी हैं. ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश को उपभोक्ता राज्य से निर्यातक राज्य के रूप में विकसित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहे हैं. इस दिशा में पिछले पांच वर्षों में किए गए कार्यों के कारण ही देश के पांच प्रमुख राज्यों में सर्वाधिक निर्यात वृद्धि वित्त वर्ष 2020-21 में 30 फीसदी उत्तर प्रदेश की है.


चयनित जिलों को बनाया जाएगा एक्सपोर्ट हब 
योजना के मुताबिक चयनित जिलों को एक्सपोर्ट हब बनाने के लिए 40 करोड़ रुपए की धनराशि दी जाएगी. इसमें 60 फीसदी केंद्रांश और 40 फीसदी राज्यांश हो सकता है. इस धनराशि से उद्यमियों के लिए कामन सर्विस सेंटर और आधारभूत संरचनाओं को विकसित किया जाएगा. साथ ही निर्यात विकास केंद्र की भी स्थापना की जाएगी.


नए व्यवसायों को निर्यात के लिए किया जाएगा प्रोत्साहित
इस मामले में एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि चिह्नित जिलों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगीं. कोशिश होगी कि इसके माध्यम से नए व्यवसायों को और आगे बढ़ाया जाए. साथ ही उन्हें निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाए.


पैक हाउस और कोल्ड स्टोरेज की होगी सुविधा 
आपको बता दें कि जिला निर्यात हब में उद्यमियों की रोज की समस्याओं का निवारण किया जाएगा. साथ ही बाजार और गाइड लाइन के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसके अलावा उन्हें बायर से सीधे कनेक्ट भी कराया जाएगा. पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज और सह उत्पादन सुविधा आदि के लिए भी सहायता दी जाएगी.


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