लखनऊ: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने यूपी विधान परिषद में लाल बिहारी यादव (Lal Bihari Yadav) को नेता विरोधी दल बनाया है. यह फैसला ठीक उस समय किया गया है, जब यूपी विधान सभा (Uttar Pradesh Vidhan Sabha 2022) का सत्र चल रहा है. विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता विपक्ष बनाया गया है. राजनीति विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा करके अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने यादव वोट बैंक को बड़ा संदेश दिया है. मौजूदा नेता प्रतिपक्ष संजय लाठर का कार्यकाल आज समाप्त हो गया है, जिसके बाद लाल बिहारी यादव को नेता विपक्ष बनाया गया है.


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कौन हैं लाल बिहारी यादव?
आजमगढ़ के रहने वाले लाल बिहारी यादव वाराणसी शिक्षक एमएलसी हैं. बता दें कि इस संबंध में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधान परिषद को प्रस्ताव भेजा था. दरअसल, लाल बिहारी यादव इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य और शिक्षक नेता हैं. उन्होंने माध्यमिक शिक्षक संघ का वित्त विहीन गुट बनाया था. बलिया से मथुरा तक की पदयात्रा करके उन्होंने शिक्षकों के हितों को लेकर संदेश दिया था. लाल बिहारी वाराणसी से शिक्षक एमएलसी भी हैं.


36 सीटों में 33 सीटों पर भाजपा ने दर्ज की थी जीत
आपको बता दें कि हाल ही में यूपी के स्थानीय निकाय क्षेत्र की 36 विधान परिषद की सीटों पर हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 33 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं, दो सीटों पर निर्दलीय जीते और एक सीट जनसत्ता पार्टी के खाते में गई. समाजवादी पार्टी का तो खाता तक नहीं खुला था. बता दें कि जुलाई में विधान परिषद की 13 सीटें रिक्त हो रही हैं. जिनमें सपा के 6 सदस्य, बसपा के 3, कांग्रेस के 1 और बीजेपी के 3 सदस्य हैं. 


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जुलाई तक सपा के 17 में से 13 सदस्यों का कार्यकाल हो रहा खत्म
बता दें कि समाजवादी पार्टी के 17 विधान परिषद सदस्यों में से 13 सदस्यों का कार्यकाल इसी साल जुलाई तक समाप्त हो रहा है. राजनीति विशेषज्ञों की मानें तो इनमें से ज्यादातर सीटें सत्ताधारी भाजपा के खाते में जानी हैं. जिसके चलते संभव है कि उच्च सदन में सपा के हाथ से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी चली जाए. क्योंकि सदन में नेता प्रतिपक्ष के लिए किसी दल को न्यूनतम 10 प्रतिशत सीटें होना जरूरी है. मौजूदा समय में सपा के पास 17 एमएलसी हैं, जिनमें से 13 सदस्यों का कार्यकाल 6 जुलाई तक खत्म हो रहा है. 


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