Mahashivratri 2023: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि महापर्व का खास महत्व है. फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि होती है, इस दिन शिवभक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाते हैं. इस व्रत को रखने वाले भक्तों को कोई भी परेशानी छू नहीं सकती. शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूचा-अर्चना और जलाभिषेक करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है. शिवरात्रि की पूजा में बेल पत्र जरूर चढ़ाते हैं. इसके पीछे कई मान्यताएं और किवदंतिया हैं. 


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पहली मान्यता- मां पार्वती ने चढ़ाया था बेलपत्र
बेलपत्र को लेकर मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान नीलकंढ को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया था. इसके बावजूद वह नीलकंठ को प्रसन्न नहीं कर पाईं. तब उन्होंने बेलपत्र पर राम लिखकर भोलेबाबा को चढ़ाया. जिसके बाद महादेव खुश हो गए थे. इसलिए बिना बेलपत्र चढ़ाए उनकी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता है. भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है. शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती जी घोर तप के बाद शिव की अर्धांगिनी बनी और सबसे पहले महादेव को राम नाम लिखकर बेलपत्र माता पार्वती ने ही चढ़ाया था.



दूसरी मान्यता-शिवजी ने पिया विष का प्याला
सहस्त्र पुराण के मुताबिक समुद्रमंथन के दौरान जब विष निकला था उससे सृष्टि के विनाश का खतरा मंडरा रहा था. उस सयम देवी-देवता, जीव-जंतुओं में हाहाकार मचा हुआ था.  जिसके बाद सभी मिलकर शिवजी की पूजा करने लगे. तीनों लोको में त्राहिमान मचता देख भगवान शिव ने विष का प्याला पी लिया था. विष पीने के कारण भोलेनाथ के दिमाग की गर्मी बढ़ने लगी जिसको शांत करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल और बेलपत्र चढ़ाना शुरू कर दिया. जिसके बाद से शिवजी शांत हो गए. तभी से शिव जी को शांत और खुश करने के लिए भक्त उन्हें बेलपत्र चढ़ाते हैं.



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महाशिवरात्रि पूजा शुभ ​मुहूर्त


प्रथम पहर पूजा
18 फरवरी: शनिवार शाम 06:41 बजे से रात 09:47 बजे तक


द्वितीय पहर पूजा
18 फरवरी: शनिवार रात 09:47 बजे से रात 12:53 बजे तक


तृतीय पहर पूजा
19 फरवरी: रविवार रात 12:53 बजे से 03:58 बजे तक


चतुर्थ पहर पूजा
19 फरवरी: रविवार सुबह 03:58 बजे से सुबह 07:06AM


व्रत पारण
19 फरवरी, रविवार सुबह 06:11 बजे से दोपहर 02:41 बजे तक


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क्यों चढ़ाया जाता है महादेव को बेलपत्र?
भगवान शंकर राम नाम लिखे बेलपत्र चढ़ाने से अति प्रसन्न होते हैं. भगवान राम और भगवान शिव दोनों का शाश्वत संबंध है. भगवान शिव कहते हैं, राम हमारे गुरु हैं और भगवान राम कहते हैं कि, शिव हमारे गुरु हैं. इस नाते भगवान शंकर के शिवलिंग पर राम नाम लिखा बेलपत्र चढ़ाया जाता है. 


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है.  सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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