आशीष मिश्रा/हरिद्वार: देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद कराने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. स्वतंत्रता के आंदोलन में यह अंग्रेजों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई थी. आज भी भारत छोड़ो आंदोलन हमें स्वतंत्रता के आंदोलन में शहीद  हुए वीर सैनिकों की याद दिलाता है. 9 अगस्त को हरिद्वार के ‌जिला कारागार में अंग्रेजों भारत छोड़ों की गूंज एक बार फिर सुनाई दी. अमृत महोत्सव के अंतर्गत जिला कारागार में भारत छोड़ो आंदोलन पर नाटक मंचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.


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हर कैदी को मिली नई भूमिका


इस अवसर कारागार परिसर में कैदियों द्वारा रैली निकाली गई. इसमें कोई कैदी महात्मा गांधी कोई भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद की भूमिका में था. जेल में कैदियों को समाज की मुख्य विचाधारा में लाने के लिए समय-समय पर ऐसे आयोजन किए जाते हैं. लेकिन स्वतंत्रता के आंदोलन से प्रेरणा दिलाने वाले इस कार्यक्रम ने सबका दिल जीत लिया. सबसे पहले कारागार में कैद बंदियों ने भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर यात्रा निकाली. इस यात्रा में महात्मा गांधी का वेष बनाए बंदी के पीछे सभी अन्य बंदी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बनकर चल रहे थे.


कैदियों के चरित्र में होगा सुधार


वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने बताया क‌ि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन जिला कारागार में किया जा रहा है. इसी कड़ी में 9 अगस्त को जेल में यात्रा निकाली गई है और देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों याद किया गया है. उन्होंने कहा कि हमारा मकसद यही है कि जिला कारागार में बंद कैदियों को देश प्रेम और अध्यात्म की ओर प्रेरित किया जाए. वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य के मुताबिक भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ पर 9 अगस्त को कारागार में सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गये. कारागार के बंदीगण ने आजादी के आंदोलन की अलख जगाने वाला कार्यक्रम किया. नाटक का मंचन बहुत ही आकर्षक था. इसमें हर बंदी ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया.