राहुल शुक्ला/अमेठी : पुरुषों द्वारा महिलाओं के प्रताड़ना के कई मामले अक्सर सुनने में मिलते हैं,लेकिन महिलाओं द्वारा बच्चों के शोषण की घटनाएं अक्सर दबकर रह जाती हैं. अमेठी में अब ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया  है. यहां एक महिला एक गांव के 17 साल के नाबालिक लड़के का तीन साल से शारीरिक शोषण कर रही थी. आरोप है कि तीन साल पहले महिला झांसा देकर लड़के को अपने साथ भगाकर ले गई. इसके बाद वह अक्सर लड़के को अवैध संबंध बनाने के लिए मजबूर करती थी. लेकिन जब  जुल्म की इंतहा हो गई तो लड़के ने पूरी बात पिता को बताई. इस पर घर वालों ने इसकी सूचना जिले के फुरसतगंज थाने में दे दी. पुलिस के दबाव से विपक्षी महिला ने लड़के को घर वापस भेज दिया, लेकिन पुलिस ने मुकदमा लिखना उचित नहीं समझा. 


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बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराने की धमकी
लड़के ने परिजनों से आप बीती में बताया कि महिला ने उसे अपने रिश्तेदार के यहां रखा था. लड़के ने जब शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया तो वह उसे रेप के झूठे केस में फंसाने की धमकी देने लगी. पुलिस से न्याय न मिलने पर नाबालिक लड़के और उसके घर वालों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पीड़ित के पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. न्यायालय ने शुक्रवार को पास्को एक्ट अधिनियम के तहत महिला के खिलाफ फुरसतगंज थाने में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया. वहीं पीड़ित के अधिवक्ता आनंद त्रिपाठी ने बताया कि थाना अध्यक्ष फुरसतगंज अमेठी को न्यायालय से आदेशित कर दिया गया है कि सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर विवेचना की जाए. थाना प्रभारी फुरसतगंज अमरेंद्र सिंह ने बताया कि न्यायालय का आदेश सर्वोपरि रखते हुए मुकदमा दर्ज कर विधि कार्रवाई की जाएगी.


देश में बढ़ रहे रेप और छेड़खानी के झूठे मामले
देश में रेप और छेड़खानी के बढ़ते झूठे मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय से लेकर राज्यों के हाईकोर्ट चिंता जाहिर कर चुके हैं. पिछले हफ्ते ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक तल्ख टिप्पणी में कहा था कि अदालतों और पुलिस के पास आने वाले रेप के अधिकतर मामले झूठे होते हैं. इसलिए न्यायालयों को ऐसे मामलों में अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए. 


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कोर्ट ने कहा है कि ''इस तरह के मामलों में थानों में लिखित आवेदन देकर जो एफआईआर दर्ज कराई जाती हैं उनमें हमेशा झूठा फंसाने का खतरा बरकरार रहता है. ज्यादातर मामलों में एफआईआर बेहद सावधानी पूर्वक और सटीक तैयार की जाती है. मजबूत मामला बनाकर आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए इसमें गलत तरीके से सामग्रियां शामिल की जाती हैं. मुंशी और वकील ऐसे फर्जी आरोप भी लगवा देते हैं, जिसमें आरोपी को आसानी से जमानत नहीं मिलती और वह परेशान होता है. इसलिए इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में भी सुधार की जरूरत है. कानून भी पुरुषों के प्रति बहुत अधिक पक्षपाती है इसलिए यौन अपराध से जुड़े मामलों में आरोपियों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए. उनका पक्ष भी गंभीरता से सुना जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि यौन अपराध से जुड़े मामलों के निस्तारण में भी बेहद सावधानी पूर्वक निर्णय लिया जाना चाहिए.''


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