Muharram 2023: इस्लाम धर्म में मुहर्रम का महीना बेहद अहम माना जाता है.यह इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है, जिसे गम का महीना भी कहा जाता है. इसके दसवें दिन को आशूरा कहा जाता है. जिसे मातम का दिन कहा जाता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग ताजिए निकालते हैं. आइए जानते हैं कि मुहर्रम का इतिहास, महत्व और इस साल यह कब पड़ सकता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या है मुहर्रम का इतिहास? (Muharram History)
इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार पैगंबर मोहम्मद के पोते हजरत इमाम हुसैन को बादशाह यजीद के साथ हुई कर्बला की जंग में परिवार और दोस्तों के साथ  मुहर्रम महीने में शहीद कर दिया गया था. मान्यता है कि इमाम हुसैन ने 10वें दिन इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए जान कुर्बान कर दी थी. इसलिए इसके 10वें दिन को मुहर्रम मनाया जाता है. 


ताजिया निकालने का है रिवाज
मुस्लिम धर्म के लोग मुहर्रम के दसवें दिन ताजिया निकालकर शोक व्यक्त करते हैं. ताजिया को हजरत इमाम हुसैन के मकबरे के प्रतीक के तौर पर माना जाता है. जुलूस निकालकर लोग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं. 


कब है मुहर्रम 2023 (Muharram 2023 Probable Date)
मुहर्रम महीने की पहली तारीख 20 जुलाई या 21 जुलाई हो सकती है. मोहर्रम महीने का चांद 19 जुलाई 2023 को देखा जाएगा. जु अल हज्जा महीना 29 का हुआ तो मोहर्रम का महीना 20 जुलाई से शुरू हो सकता है, वरना 21 जुलाई को मु्हर्रम महीने की पहली तारीख होगी. लेकिन इसकी पुष्टि 19  जुलाई को ही हो पाएगी. यानी मुहर्रम का दसवां दिन 28 या 29 जुलाई को आशूरा हो सकता है.  


आशूरा का महत्व?
मुहर्रम का महीना इस्लाम धर्म में शोक के महीने के रूप में जाना जाता है, इस महीने में उत्सव नहीं होता है.इमाम हुसैन की शहादत पर शोक व्यक्त करते हुए शिया मुस्लिम काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं. इस दिन को कुर्बानी के रूप में याद किया जाता है, साथ ही इस दिन ताजिया निकाला जाता है.