अंकित मित्तल/मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश में अखाड़ों और पहलवानों की दुदर्शा किसी से छिपी नहीं है. सरकार की तरफ से सुविधाएं न मिलने की वजह से पहलवानी दम तोड़ने लगती है. पहलवानों को न तो स्टेडियम में सुविधाएं मिलती हैं और न ही अखाड़ों में. इस वजह से पहलवान अपने दम पर ही आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, मगर सही ट्रेनिंग और गुरू न मिलने के कारण पहलवान सफल नहीं हो पाते. इसके बाद खिलाड़ी घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मजबूर होकर पहलवानी छोड़ देते हैं और कोई नौकरी या काम-धंधा करने लगते हैं.


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पहलवानों की सरकार से मांग


मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना तहसील इलाके का सौरम गांव पहलवानी के लिए जाना जाता है. यहां स्थित जनहित स्पोर्ट्स एकेडमी के अखाड़े में कई खिलाड़ी पहलवानी करते हैं. पहलवानों का कहना है कि उन्हें स्टेडियम या फिर सरकारी अखाड़े में कोई सुविधा नहीं मिलती है. इस वजह से वे अपने बलबूते ही आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. पहलवान प्राइवेट अखाड़ों में ट्रेनिंग ले रहे हैं, जिसकी ऐवज में उन्हें मोटी रकम चुकानी पड़ती है. अगर सरकार उन्हें प्रोत्साहित करे और सुविधाएं उपलब्ध कराए तो वो भी हरियाणा और पंजाब की तरह उत्तर प्रदेश का नाम पहलवानी में रौशन कर सकते हैं.


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पहलवानों के कोच मन्नू का कहना है कि सरकार पहलवानों की कोई मदद नहीं कर रही है. स्टेडियम में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं मिलता है. इस वजह से पहलवानों को निजी अखाड़ों और ट्रेनर्स के पास जाना पड़ता है. यूपी सरकार अगर प्रदेश के पहलवानों पर ध्यान दे और उन्हें सुविधाएं प्रदान करे तो यहां के पहलवान भी पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रदेशों के पहलवानों से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं. यहां के खिलाड़ी भी पहलवानी में मेडल जीत सकते हैं. यूपी के पहलवान मेडल जीतकर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन कर सकते हैं.


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