प्रभम श्रीवास्तव/कन्नौज:  इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज में स्थित ऐतिहासिक सिद्धपीठ माता फूलमती देवी मंदिर की काफी मान्यता है. नवरात्रि के दिनों में यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. कन्नौज के फूलमती मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है.


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ये है ऐतिहासिक कथा
शहर में स्थित सिद्धपीठ माता फूलमती देवी कन्नौज(कान्यकुब्ज) के राजा बेनुचक्र की 7 पुत्रियों में से सबसे बडीं थी. एक दिन जब राजा बेनुचक्र कि पत्नी को अपनी सातों पुत्रियों के विवाह की चिंता सताई तो यह बात उन्होंने राजा से कही. राजा और रानी के बीच हो रही बात को बड़ी पुत्री फूलमती ने सुन लिया फिर सभी 7 बहनें एक राय होकर अलग-अलग दिशा में चल दीं. 


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यह है मान्यता
पिता को चिंतित देख सातों बहनों मां फूलमती देवी, मां क्षेमकली देवी, मां सिंह वाहिनी देवी, मां मौरारी देवी, मां गोवर्धनी देवी, मां शीतला देवी और मां तपेश्वरी देवी सभी ने वैराग्य धारण कर लिया और सातों बहन अलग-अलग स्थानों पर चली गई. आज उन्हीं स्थानों पर भव्य मंदिर बने हैं, जो कि सिद्धपीठ कहलाते हैं. इन सिद्धपीठों में एक माता फूलमती देवी का भव्य मंदिर है.


नवरात्रि में लगता है श्रद्धालुओं का तांता 
वहीं मंदिर की अगर बात की जाए तो यह मंदिर शहर में स्थित है और मंदिर में कई दूर दूर के जिलों से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां प्रतिदिन सुबह से पूजन,आरती व यज्ञ का आयोजन किया जाता है. कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु श्रद्धाभाव से माता से मनौती मांगता है, मां उसकी हर मुराद पूरी करती हैं. 


कुंड में भरे जल को आंखों में लगाने से बढ़ती है आंखों की रोशनी
ऐसी मान्यता है कि मंदिर में माता के स्नान बाद कुंड में भरे जल को आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.परिसर की मिट्टी को यदि कोई भक्त अपने खेत मे डालता है तो उसके खेत कभी सूखते नहीं. वहां हमेशा अनाज पैदा होता रहता है. बीच शहर में स्थित देवी मां के इस मंदिर का पूरा नाम सिद्धपीठ माता फूलमती देवी मंदिर है.


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