नवरात्रि 2021: संगम नगरी में है अनोखा शक्तिपीठ मंदिर, यहां नहीं है कोई मूर्ति; लोग पालने की करते हैं पूजा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand1005027

नवरात्रि 2021: संगम नगरी में है अनोखा शक्तिपीठ मंदिर, यहां नहीं है कोई मूर्ति; लोग पालने की करते हैं पूजा

देशभर में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ अलोप शंकरी देवी मंदिर भी है. शक्तिपीठ होने की वजह से आम दिन हो या फिर नवरात्रि, यहां श्रद्धालुओं की हमेशा ही भारी भीड़ देखी जाती है. इस मंदिर में लोग मूर्ति की नहीं बल्कि एक पालने की पूजा करते हैं. 

प्रयागराज स्थित अलोप शंकरी मंदिर.

मो.गुफरान/प्रयागराज: देश भर में आदि शक्ति देवी मां के कई मंदिर और तीर्थ स्थल हैं, जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले हुए हैं. क्या आप जानते हैं संगम नगरी प्रयागराज में देवी मां का एक ऐसा भव्य मंदिर है, जहां कोई मूर्ति नहीं है. जी हां, आस्था के इस अनूठे केंद्र में लोग मूर्ति की नहीं बल्कि एक पालने की पूजा करते हैं. मान्यता है कि यहां माता सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य हो गया था. इसी वजह से इस शक्तिपीठ को अलोप शंकरी नाम दिया गया है. इसलिए पालने को यहां प्रतीक के रूप में रखा गया है.  

क्या है पौराणिक मान्यता?
देशभर में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ अलोप शंकरी देवी मंदिर भी है. शक्तिपीठ होने की वजह से आम दिन हो या फिर नवरात्रि, यहां श्रद्धालुओं की हमेशा ही भारी भीड़ देखी जाती है. धर्म की नगरी प्रयागराज में यह मंदिर संगम के नजदीक स्थित है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, प्रयागराज में इसी जगह पर देवी के दाहिने हाथ का पंजा कुंड मे गिरकर अदृश्य हो गया था. पंजे के अलोप होने की वजह से ही इस जगह को सिद्ध पीठ मानकर इसे अलोप शंकरी मंदिर का नाम दिया गया. माता सती के शरीर के अलोप होने की वजह से ही यहां कोई मूर्ति नहीं है. 

ये भी देखें- Viral Video: कभी बकरे को मछली खाते हुए देखा है? अगर नहीं, तो यहां देखें हैरान करने वाला नजारा

श्रद्धालु पालने की करते हैं पूजा 
यहां मूर्ति न होने के बाद भी रोजाना देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालुओं का जमावाड़ा होता है. यहां मूर्ति के बजाय एक पालना (झूला) लगा है. श्रद्धालु इसी पालने का दर्शन करते हैं. मंदिर में लोग कुंड से जल लेकर पालने में चढ़ाते हैं. उसकी पूजा और परिक्रमा करते हैं. इसी पालने में देवी का स्वरूप देखकर उनसे सुख-समृधि और वैभव का आशीर्वाद लेते हैं. यहां नारियल और चुनरी के साथ जल और सिंदूर चढ़ाये जाने का भी खास महत्व है. 

रक्षा धागा बांधने की है खास मान्यता
मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु देवी के पालने के सामने हाथों मे रक्षा सूत्र बांधते हैं, देवी उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. हाथों मे रक्षा सूत्र रहने तक उसकी रक्षा भी करती हैं. 

ये भी पढ़ें- रामलीला में माता सीता का रोल कर रही हैं एक्ट्रेस भाग्यश्री, कहा- रामलला के आशीर्वाद से कर रही हूं करियर की नई शुरुआत

WATCH LIVE TV

Trending news