स्मॉग टावर को संचालित करने के लिए प्राधिकरण इस पर हर साल करीब 18.50 लाख रुपये खर्च करेगा.
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नोएडा: दिनों-दिन बढ़ रहे प्रदूषण से परेशान नोएडावासियों के लिए एक अच्छी खबर है. हवा को साफ करने के लिए बनाए जा रहे एयर पॉल्यूशन कंट्रोल टावर (APCT) का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. बिजली कनेक्शन मिलते ही स्मॉग टावर काम करना शुरू कर देगा. नवंबर में ही इस टावर के शुरू होने की संभावना जताई जा रही है. नोएडा अथॉरिटी और भारत हैवी इलेक्ट्रीकल लिमिटेड (BHEL) द्वारा डीएनडी फ्लाई ओवर पर इस टावर का निर्माण किया गया है.
बता दें कि स्मॉग टावर अपने 1 किमी. के दायरे में हवा को साफ करने का काम करता है. ठंड के मौसम में दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे यहां रहने वाले लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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कैसे काम करता है स्मॉग टावर?
स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को साफ करने का काम करता है. टावर का ऊपरी हिस्सा चारों ओर से प्रदूषित हवा को अंदर खींचता है. इसमें लगे 4 केनोपी हवा को फिल्टर तक पहुंचाते हैं. फिल्टर हवा में उपस्थित प्रदूषित कणों को अलग करता है. इसके बाद साफ हवा टावर में लगे पंखों से बाहर निकल जाती है. इस प्रकार ये टावर वायुमंडल में उपस्थित प्रदूषित हवा को साफ करता है.
यहां रहने वाले लोगों को मिलेगी राहत
इस टावर से लगभग 1 किमी. के क्षेत्र के प्रदूषण को कम किया जा सकेगा. अधिकारियों का कहना है कि स्मॉग टावर के लगने से सेक्टर-16, सेक्टर-16-ए, सेक्टर 16-बी, सेक्टर 17, सेक्टर 17-ए, सेक्टर-18, नोएडा, ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे, डीएनडी फ्लाई ओवर के आस-पास के इलाकों सहित करीब 14 सेक्टरों को प्रदूषित हवा से राहत मिलेगी.
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कितना आएगा खर्चा
स्मॉग टावर को संचालित करने के लिए प्राधिकरण इस पर हर साल करीब 18.50 लाख रुपये खर्च करेगा. टावर के लगने से स्मॉग में भी कमी आएगी. इस टावर के लगने से हवा को प्रदूषित करने वाले पीएम 2.5 कण हवा में न ठहरकर धरती पर आ जाएंगे, जिससे स्मॉग जैसी स्थिति नहीं बनेगी.
पीएम 2.5 कण क्या है ?
पीएम 2.5 हवा में घुलने वाले कण होते हैं. इनका व्यास लगभग 2.5 माईक्रोमीटर होता है. वायुमंडल में पीएम 2.5 की मात्रा धूल, कंस्ट्रक्शन व पराली जलाने से बढ़ती है. जब इसका स्तर बढ़ता है तो धुंध भी बढ़ती है.
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