Mirzapur: रावण के डर से नहीं आते खटमल, जानें रावण की अस्थियों को क्यों घर ले जाते हैं लोग
Mirzapur: हमारे देश में कुछ ही किलोमीटर में संस्कृति और विरासत के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं. मिर्जापुर में एक जगह ऐसी भी है जहां रावण को खटमल और जहरीले जानवरों का निवारक माना जाता है.
राजेश मिश्रा/मिर्जापुर: देशभर में दशहरा बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में रावण का दहन हुआ. देश में दशहरे को लेकर अलग-अलग आस्था के रंग भी देखने को मिलते हैं. यूपी के विंध्याचल स्थित मिर्जापुर में रावण को वध करने के बाद जलाया नहीं जाता है. बल्कि उसकी अस्थियों को लूट लिया जाता है.
मान्यता है कि साल भर रावण के डर से खाट और चारपाई में खटमल और जहरीले जानवर नहीं आते हैं. मिर्जापुर (Mirzapur) में बंगाली चौराहे में रावण का विशाल पुतला स्थापित किया जाता है. राम-रावण संग्राम होता है. इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. हर रामलीला की तरह यहां भी राम को बाण से मारा जाता है. इसके बाद रावण के शरीर के अंग को जनता लूट कर घर ले जाती है. रावण को लूटने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. बताया जाता है कि यह परंपरा सालों से कायम है. एमपी के बैतूल में भी रावण को लेकर लोगों की कुछ इस तरह की आस्था है. यहां लोग रावण के पुतले में इस्तेमाल लकड़ियों को घर लेकर जाते हैं. माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है.
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मिर्जापुर के हलिया स्थित ड्रमंडगंज बाजार में भी रावण को जलाने के बजाय पुतले का सिर कलम किया जाता है. रावण के पुतले का सिर कलम करने की यह परंपरा लगभग सौ साल पुरानी बताई जाती है. लोहे के बने दस सिर वाले पुतले का सिर कलम होने के बाद रामलीला कमेटी उसे अगले साल के लिए सुरक्षित रख देती है. दशहरे के दिन रावण के पुतले को बाजार में घुमाया जाता है. बताया जाता है कि इस परंपरा को देखने यूपी और एमपी के आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
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