Ajmer Dargah: प्रधानमंत्री मोदी की चादर आज अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़नी है, लेकिन इससे पहले आज ही इसे लेकर दायर याचिका पर कोर्ट में सुनवाई होगी. यह याचिका प्रधानमंत्री मोदी की चादर के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें इसके चढ़ाए जाने पर आपत्ति जताई गई है. अब कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.
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Ajmer Dargah PM Modi Chadar: राजस्थान के अजमेर में उर्स की शुरुआत हो गई है. इस दौरान यहां की जानी-मानी अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने वालों की भीड़ भी उमड़ रही है. आज यानी कि 4 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के हाथों चादर पेश की है. आज सुबह केंद्रीय मंत्री चादर लेकर अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचेंगे, लेकिन इसी बीच एक और खबर सामने आ रही है कि हिंदू सेना अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से कोर्ट में एक याचिका पेश की गई है. दायर याचिका की जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी की चादर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग की गई है, जिसके बाद अदालत में इसकी सुनवाई होगी.
प्रधानमंत्री मोदी की चादर 4 जनवरी को अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाई जानी थी, लेकिन अब इसे लेकर एक याचिका दायर की गई है जिस पर आज ही कोर्ट में सुनवाई होगी. याचिका में पीएम कार्यालय से आने वाली चादर पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है. अजमेर के सिविल जज मनमोहन चंदेल की अदालत इस याचिका पर सुनवाई करेगी.
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने प्रधानमंत्री मोदी की चादर चढ़ाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है. विष्णु गुप्ता का कहना है कि प्रधानमंत्री पद से चादर भेजने से उनका मामला प्रभावित होगा, इसलिए तत्काल चादर भेजने पर रोक लगनी चाहिए.
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह प्रकरण पर 24 जनवरी 2025 को पेशी होनी है और इसमें केंद्र सरकार उत्तरदायी है. याचिका के अनुसार, 4 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा भेजी गई चादर विवादित ढांचे पर चढ़ाई जानी है, जो न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को बाधित कर रहा है. यह भी कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा विचाराधीन मुकदमे के होते हुए इस तरह विवादित ढांचे को चादर भेजकर दरगाह की पुष्टि करना अनुचित है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार विचाराधीन विवादित ढांचे पर चादर भेजती है, तो इससे न्यायालय की प्रक्रिया प्रभावित होगी और न्यायालय की स्वतंत्रता भी खतरे में पड़ जाएगी. इससे पूरा मामला ही निराधार हो जाएगा.
1947 से चली आ रही परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 सालों से निभा रहे हैं. देश की आजादी के बाद से ही भारत के प्रधानमंत्री सालाना उर्स के मौके पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर भेजते आ रहे हैं. अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती के अनुसार, यह परंपरा हिंदुस्तान की संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है, जिसमें हर धर्म, हर संप्रदाय और हर सूफी संत का सम्मान किया जाता है.
अजमेर शरीफ दरगाह पर प्रधानमंत्री की चादर के खिलाफ याचिका दायर की गई है, जिस पर अब कोर्ट का फैसला आना बाकी है. यह याचिका पीएम मोदी की चादर चढ़ाने के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि यह न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करेगा और न्यायालय की स्वतंत्रता को खतरे में डालेगा. अब देखना यह है कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेता है.
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