Air Force Day: नई दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयर स्टेशन, परमाणु-सक्षम मिग -27 विमानों के लिए बड़ा एयरबेस है. हिंडन एयरबेस पर 10 C-17 हेवी लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (C-17 Heavy Lift Transport Aircraft) के लिए बेडडाउन इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस का निर्माण किया गया था.
नई दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयर स्टेशन, परमाणु-सक्षम मिग -27 विमानों के लिए बड़ा एयरबेस है. हिंडन में स्क्वाड्रन 2, 9, और 18 ने चार दर्जन से ज्यादा मिग-27 एमएल का संचालन किया, जिनमें से कुछ को परमाणु बम (Nuclear Bomb) ले जाने के लिए स्पेशली बनाया जाता है. बता दें, हिंडन एयर स्टेशन के पास करीब 9,100 फुट लंबा रनवे है.
हिंडन हवाई अड्डा भारतीय वायु सेना (IAF) का है और Airports Authority of India (AAI) ने वहां सिविल एन्क्लेव बनाया है. एएआई के अनुसार, सिविल एन्क्लेव की लागत लगभग 40 करोड़ रुपये है और यह व्यस्त समय के दौरान 300 यात्रियों को संभाल सकता है. 8 मार्च 2019 को, पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और तत्कालीन केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु की उपस्थिति में हिंडन हवाई अड्डे पर नए सिविल एन्क्लेव का उद्घाटन किया था.
हिंडन एयरबेस पर 10 C-17 हेवी लिफ्ट ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (C-17 Heavy Lift Transport Aircraft) के लिए बेडडाउन इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेस का निर्माण किया गया था. इसका कंस्ट्रक्शन US Army of Engineers ने 21 मिलियन अमरीकी डॉलर की लागत से किया था.
पूरी दुनिया में जब कोरोना वायरस महामारी ने पांव पसारे हुए थे तब भारतीय वायुसेना ने दुनियाभर में रह रहे हमारे नागरिकों को पूरी सुरक्षा के साथ वतन वापसी कराई थी. चीन के वुहान और ईरान जैसे देशों में गए इंडियन सिटिजन्स को एयर फोर्स के C-17 एयरक्राफ्ट द्वारा दो मौकों पर वापस लाया गया था.
दूसरे मौका था, जब लद्दाख के कुल 57 तीर्थयात्री जो तीर्थयात्रा के लिए ईरान के कोम (Quom, Iran) गए थे, उन्हें 10 मार्च 2020 को वायु सेना स्टेशन हिंडन में C-17 विमान से लाया गया. इनमें 33 महिलाएं, 2 बच्चे और 22 पुरुष शामिल थे.
इन तीर्थयात्रियों के लिए वायुसेना स्टेशन हिंडन में एक क्वारंटीन फैसिलिटी बनाई गई थी, जिसमें आराम और मेडिकल रिलेटेड सुविधाएं दी गई थीं. कैंप में प्रशासनिक व्यवस्था (इमारतों की पहचान, पेरिमीटर सेक्योरिटी, खाने-पीने की व्यवस्था, बेड और लिनन, कपड़े धोने, हाउसकीपिंग, एंटरटेनमेंट, सीवेज निपटान, ट्रांसपोर्टेंशन आदि) सभी सुविधाएं थीं. इसके अलावा, मेडिकल हेल्प (डेली टेस्ट, लैब टेस्टिंग, सलाह) भी दी जाती थी.
सुपर हरक्यूलिस (Super Hercules) का इस्तेमाल उत्तराखंड में बाढ़ राहत कार्यों के दौरान बड़े पैमाने पर किया गया था. विमान बचाव और राहत कार्यों में शामिल हेलीकॉप्टरों को ईंधन की आपूर्ति करने के लिए धरासू में उतारा गया था.
ग्लोबमास्टर (Globemaster) का उपयोग मौजूदा समय में लेह और थोइस में ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों में नियमित मिशन और विशेष मिशन करने के लिए किया जाता है. 81 स्क्वाड्रन ने राहत सामग्री और यात्रियों को ट्रांसपोर्ट कर जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित लोगों को सहायता और राहत प्रदान की है.
मालदीव को पीने के पानी के ट्रांसपोर्ट के लिए ग्लोबमास्टर-III (Globemaster-III) के उपयोग ने हवाई शक्ति के उपयोग से संकट के समय फ्रेंडली देशों की मदद करने के लिए सरकार के दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया.