Gorakhpur: चाय की चुस्कियों के साथ कप भी कर जाएं गप, जानिए क्यों खास है पूर्वांचल का यह टी स्टॉल
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Gorakhpur: चाय की चुस्कियों के साथ कप भी कर जाएं गप, जानिए क्यों खास है पूर्वांचल का यह टी स्टॉल

Gorakhpur News: गोरखपुर एक स्टॉल ऐसा भी है, जहां चाय को पिया ही नहीं बल्कि इसे जिस कप में दिया जाता है उसको खाया भी जाता है. पढ़कर चौंक गए ना.. लेकिन ये एकदम सच है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला. 

 

 

Gorakhpur: चाय की चुस्कियों के साथ कप भी कर जाएं गप, जानिए क्यों खास है पूर्वांचल का यह टी स्टॉल

विनय सिंह/गोरखपुर: चाय की चुस्कियां तो आपने भी खूब ली होंगी लेकिन एक स्टॉल ऐसा भी है, जहां चाय को पिया ही नहीं बल्कि इसे जिस कप में दिया जाता है उसको खाया भी जाता है. पढ़कर चौंक गए ना.. लेकिन ये एकदम सच है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला. दरअसल खुद को सशक्त व्यवसायिक महिला बनने की चाह में गोरखपुर शहर की एक लड़की ने अपना करियर चाय के स्टाल से शुरू किया है. यह चाय का स्टॉल अनोखा इसलिए है क्योंकि यहां चाय पिया ही नहीं बल्कि जिस कुल्हड़ में इसको दिया जाता उसे खाया भी जा सकता है.

इस स्टॉल का नाम है टी-वर्स है, जिसे हिंदी में चाय की कविता कहते हैं. जिसे लगाती हैं अवनी त्रिपाठी.जी मीडिया से बातचीत में कहा कि वह खुद चाय की शौकीन हैं. उन्होंने इस स्टॉल कोगोरखपुर विश्वविद्यालय के सामने लगाया है, यह बहुत कम खर्चे में तैयार हुआ है.माता पिता की सरकारी नौकरी है फिर भी व्यवसाय कर रही हैं. घर में किसी बात की कोई दिक्कत नहीं है.  माता पिता की सरकारी नौकरी है, फिर भी उन्होंने इसे व्यवसाय के तौर पर चुना है. वह  हर रोज 2500 से 3000 रुपये तक कमा कर रही हैं. साथ ही दो और लोगों को रोजगार दिया है.

चाय पीने के साथ कप भी खा सकते हैं 
अवनी बताती हैं, मैंने जब पहले दुकान खोली थी तब यहां रोजाना दो-तीन बाल्टी कूड़ा कुल्हड़ों का फेंकना पड़ता था. ऐसी ही पूरे जिले में कूड़ा फेंका जा रहा होगा. इसी को देखते हुए एडिबल कुल्हड़ का इस्तेमाल किया, जिनको खाया जा सकता है. अगर इसको रोड पर फेंक भी देते हैं तो इसे जानवर खा सकते  हैं. इससे दो फायदे होंगे एक पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी साथ ही जो जानवर प्लास्टिक खाते हैं, वह भी इसको खा सकते हैं. 

ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहीं अवनी ने सरकारी या कॉरपोरेट जॉब की तैयारी के बजाय चाय का ठेला लगाने के सवाल पर बताया कि यह मेरा स्टार्टअप था. इसीलिए मैंने बेसिक से स्टार्ट किया. मेरे यहां बिजनेस में कोई नहीं है, इसलिए मैंने बेसिक से स्टार्ट किया. कम खर्च में यह व्यवसाय शुरू हो गया. इसमें कई चीजें सीखने को मिलेंगी. मुझे डील करना भी आ जाएगा.

चाय की दुकानों पर तो अक्सर लड़के होते हैं, हम जाकर कहते हैं छोटू या भैया चाय दे दो,आपसे किस तरह चाय मांगी जाती है? इस सवाल के जवाब पर अवनी कहती है कि अभी यहां डिवीजन है कि ये काम लड़की करेगी और ये काम लड़का करेगा.मुझे लगता है कि इसके बाद और लड़कियां भी इस तरह के कामों में आएंगी.हां, ये सच है कि दुकानों पर लड़के होते हैं, और लोग छोटू या भैया कहकर चाय मांगते हैं पर हमारी दुकान पर मै’म कहकर चाय मांगते हैं.

सवाल- चाय के स्टॉल के लिए घर वाले कैसे तैयार हो गए?
अवनी ने बताया कि शुरुवात के दिनों में उनको भी लगता था कि ये काम ठीक नहीं है.पढ़ाई कर रही हूं तो पहले पढ़ाई ही करूं.उनको भी खूब समझाना पड़ा फिर मान गए.अब हमारे घर का पूरा सहयोग है.

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