सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया.  लोकतंत्र सेनानी का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लोकतंत्र सेनानी के अंतिम संस्कार के मौके पर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि , प्रशासनिक अधिकारी , समाजसेवी अन्य लोग मौजूद रहे. उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है.


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इमरजेंसी के खिलाफ जन आंदोलन में बड़ी भूमिका
1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लागू की गई इमरजेंसी के खिलाफ जन आंदोलन में कर्पूरी ठाकुर और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के सहयोगी और सहपाठी रहे लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल ने इमरजेंसी के खिलाफ जन आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी. तत्कालीन सरकार ने लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल को आंदोलन में भाग लेने के आरोप में मीसा लगाकर 2 साल तक जेल में बंद रखा था, यही नहीं तत्कालीन सरकार ने लोकतंत्र सेनानी बीबी लाल को प्रताड़ित करने के लिए उनके दोनों हाथों की सभी उंगलियों के नाखून तक खिंचवा दिए थे.


मूल रूप से बिहार के रहने वाले
संभल जनपद के चंदौसी में रहने वाले लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल मूल रूप से विहार राज्य के रहने वाले थे . 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लगाई इमरजेंसी के खिलाफ जन आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने पर तत्कालीन सरकार द्वारा अत्याधिक प्रताड़ित किए जाने पर उनके पिता लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल सहित पूरे परिवार को लेकर संभल जिले के चंदौसी में आकर बस गए थे.


दोनों हाथों की सभी उंगलियों के खिंचवा दिए थे नाखून
बिहार में इमरजेंसी के खिलाफ जन आंदोलन शुरू करने वाले कर्पूरी ठाकुर और बिहार में सेंट जेवियर कालेज में पूर्व सीएम लालू प्रसाद के सहपाठी रहे लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल ने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू की गई इमरजेंसी के खिलाफ जन आंदोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी की थी. जन आंदोलन में लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल की सक्रियता से परेशान सरकार ने लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल पर मीसा लगाकर 21 महीने तक जेल में बंद रखा था. यही नहीं उनको प्रताड़ित करने के लिए उनके दोनों हाथों की सभी उंगलियों से नाखून तक खिंचवा दिए गए थे.


लंबी बीमारी के बाद निधन
बीते शनिवार को लंबे समय तक बीमारी से जूझने के बाद लोकतंत्र सेनानी वृंदावन बिहारी लाल का 74 साल की उम्र में निधन हो गया. वृंदावन बिहारी लाल के शव को राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर उनकी शव यात्रा को राजकीय सम्मान के साथ मोक्षधाम ले जाया गया, जहां पर सलामी देने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया .


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