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भारतीय सिनेमा की रूहानी और दर्द भरी आवाज़ मुकेश की पुण्यतिथि 27 अगस्त को है. उनके जीवन और कृतित्व पर डॉ. राजीव श्रीवास्तव की नई पुस्तक 'भारत के प्रथम वैश्विक गायक - मुकेश' हाल ही में प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित की गई है.
भारतीय उच्चायोग, लंदन की सहभागिता में, सान्निध्य लंदन और साउथ एशिएन सिनेमा फाउंडेशन (एसएसीएफ) इसका अंतर्राष्ट्रीय लोकार्पण एक ज़ूम सत्र द्वारा करने जा रहा है जिसमें लेखक राजीव श्रीवास्तव के अलावा कुछ ऐसे विशिष्ट लोग शामिल होंगे जो स्व. मुकेश के करीब थे. साथ में न्यायाधीश अशोक नानावती भी होंगे.
मुकेश के प्रिय एकॉर्डियन वादक के. भरत जो उनके संगीत कार्यक्रमों में एकॉर्डियन पर संगत करते थे. भारत के सुप्रसिद्ध गुगली गेंदबाज़ बी चंन्द्रशेखर जो मुकेश के गीत गुनगुनाते हुए क्रिकेट के महारथियों को पवेलियन रास्ता दिखाते थे. ऐ के व्यास जो मुकेश को उन्हीं के गीत सुनाते थे.
कुंदन लाल सहगल की आवाज़ से प्रेरणा लेकर मुकेश 1950 के दशक में भारतीय सिनेमा के पहले अंतर्राष्ट्रीय गायक बने. राजकपूर कहते थे मुकेश उनकी आवाज़ हैं. 'आवारा हूं' (आवारा, 1951), 'मेरा जूता है जापानी' (श्री 420, 1955) जैसे गीत रूसियों की ज़बान पर चढ़े. मुकेश को राष्ट्रीय पहचान दिलाई 'पहली नज़र' (1945) के गीत 'दिल जलता है तो जलने दे' ने जिसे सफ़दर आह ने लिखा और अनिल बिस्वास ने संगीत में ढाला। इस गीत को सुनकर कुंदन लाल सहगल आश्चर्य में पड़कर बोले उन्हें याद नहीं कि उन्होंने कब यह गीत गाया था.
लेखक राजीव श्रीवास्तव से फिल्म इतिहासकार और डाक्यूमेंट्री सिनेकार ललित मोहन जोशी बात करेंगे.
माननीय नंदिता साहू, अताशे (हिंदी व संस्कृति) भारतीय उच्चायोग विशिष्ट अतिथि होंगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता बीबीसी हिंदी के पूर्व संपादक और राजनैतिक स्तम्भकार शिवकांत करेंगे.
यह सत्र शनिवार 27 अगस्त को लंदन समय से शाम 3 बजे और भारतीय समय से रात 7.30 बजे ज़ूम और फेसबुक लाइव पर प्रसारित होगा.