Shanidev Wives Name: शनि देव को धर्मराज कहा जाता है. लोगों को उनके कर्मों के अनुसार शनि देव का शुभ-अशुभ फल मिलता है..यही कारण है कि हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी कुंडली में शनि की स्थिति ठीक रहे और उसे शनि दोष से पीड़ित न होना पड़े. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार शनि देव को भी श्राप का भागी बनना पड़ा था.
Trending Photos
Shanidev Wives Name: सूर्य देव के पुत्र भगवान शनि देव को न्याय और कर्मों का देवता माना जाता है. शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों का आगमन शुरू हो जाता है क्योंकि इनको काफी गुस्सैल ग्रह बताया गया है. शनि किसी के भी जीवन में उथल-पुथल मचा सकते हैं. नवग्रहों में शनिदेव केवल उन्हीं लोगों को परेशान करते हैं, जिनके कर्म अच्छे नहीं होते. जिन लोगों पर भगवान शनिदेव मेहरबान होते हैं उसे धन धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक शनि देव एक ही राशि में 30 दिनों तक रहते हैं. हम शनि की पूजा करते हैं. शनि देव के बारे में तो बहुत सी बातें कही और सुनी जाती हैं, लेकिन शनि देव की पत्नी के बारे में बहुत कुछ नहीं कहा जाता है. क्या आपको पता है कि शनि देव की पत्नी कौन थीं और किस तरह से उनका विवाह हुआ था? आइए धर्म शास्त्रों के मुताबिक हम जानने की कोशि करते हैं कि शनिदेव का विवाह कब और कैसे हुआ था?
Shardiya Navartri 2023: कब से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि? जान लें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिवार का दिन उनको प्रसन्न करने के लिए विशेष महत्व रखता है. ऐसी भी मान्यता है कि अगर शनिवार के दिन शनिदेव के साथ ही उनकी 8 पत्नियों के नाम का जाप कर लें तो जीवन के बड़े से बड़े संकट भी टल जाते हैं. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति शनिदेव की पत्नियों का नाम जाप करता है उस पर भी शनिदेव अपनी कृपा बरसाते हैं.
शनि देव को उनकी पत्नी ने ही श्राप दिया गया था.आज तक इस श्राप ने शनि देव का पीछा नहीं छोड़ा, जिसके कारण वे सिर झुकाकर चलते हैं. जानते हैं शनि देव की पत्नी और इस पौराणिक कथा के बारे में. कथा के बारे में पढ़ने से पहले जानें कि शनिदेव की कितनी पत्नियां हैं.
कौन हैं शनि देव की 8 पत्नियां?-(धार्मिंक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव की कुल 8 पत्नियां हैं.)
ध्वजिनी
धामिनी
कंकाली
कलहप्रिया
कंटकी
तुरंगी
महिषी और अजा
(कुछ जगहों पर नीलिमा को शनि की दूसरी पत्नी माना जाता है. नीलिमा शनि की शक्ति थीं और उनके पास ब्रह्म के पांचवे सिर की ताकत थी. धामिनी एक गंधर्व थीं.) आइए अब जानते हैं कथा...
Nag Panchami 2023: इस खास योग में मनेगा नागपंचमी को त्योहार, इस दिन भूलकर भी न करें ये गलतियां
शनि की कथा
वेद पुराणों में भी शनि देव की कथा का जिक्र मिलता है. ब्रह्मपुराण के अनुसार, शनि देव श्री कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे. वह अपना ज्यादातर समय श्रीकृष्ण की उपासना में ही बिताते थे. एक बार की बात है जब शनि देव की पत्नी को संतान पाने की इच्छा हुई. वह शनि देव के पास पहुंची. लेकिन शनि देव कृष्ण भक्ति में रमे हुए थे. पत्नी के कोशिशों के बाद भी शनि देव का ध्यान भंग नहीं हुआ. कोशिशों के बाद भी ध्यान भंग न हुआ तो शनि देव की पत्नी को गुस्सा आ गया और उन्होंने क्रोध में ही शनि देव को श्राप दे दिया.
पत्नी ने कहा श्राप देते हुए कहा कि आज के बाद जिस व्यक्ति पर शनि देव की दृष्टि पड़ेगी वह तबाह हो जाएगा. जब शनि देव ध्यान से जागे तो उन्हें अपनी भूल का आभास हुआ पत्नी से क्षमा भी मांगी. लेकिन शनि देव की पत्नी के पास श्राप को निष्फल करने की कोई शक्ति नहीं थी. इसी घटना के बाद से शनि देव अपना सिर नीचे करके चलने लगे, जिससे उनकी दृष्टि से किसी का बिना बात के विनाश न हो.
शनिवार को इन बातों का रखें ध्यान
भगवान शनि के कोप से बचने के लिए सूर्योदय से पहले उठकर व्रत रखने का संकल्प लें. शनिवार के दिन उनकी प्रतिमा पर काले तिल और तेल को चढ़ाएं. शनिवार को लोहा या लोहे से बनी चीजों को खरीदने से बचें. इस दिन सरसों का तेल भी नहीं खरीदा जाता है. गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करें, इससे शनिदेव खुश होते हैं और अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं.
Adhik Maas 2023: अधिकमास में ये दो ग्रह अपनी चाल बदलकर मचाएंगे बवाल, चमकेगा इन 4 राशियों का भाग्य
WATCH: ऑनलाइन धर्म परिवर्तन मामले में बड़ा खुलासा, Whatsapp Chat से सामने आई मौलवी की साजिश