कमल किशोर पिमोली/पौड़ी गढ़वाल : ज्योर्तिपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे. यहं उन्होंने बताया कि जोशीमठ को बचाने के लिए आध्यात्मिक तरीका भी अपनाया जा रहा है. आगामी 100 दिनों तक जोशीमगठ में धार्मिक अनुष्ठान किये जायेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि इतनी जल्दी यह फैसला लेना कि जोशीमठ को कहीं ओर बसाया जाये इसकी आवश्यकता नहीं है. जिन्हें जोशीमठ से जाना है उनके लिए सरकार को निति बनानी चाहिए, जो यहीं रहना चाहते हैं उन्हें उनके लिए उपाय खेाजने की जरूरत है. 


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वहीं चारधाम यात्रा को लेकर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि विधि विधान के साथ यात्रा शुरू होगी ओर संकट की कैसी भी घड़ी क्यूं न हो रास्ता खोज लिया जाएगा. वहीं जोशीमठ के अलावा अन्य क्षेत्रों में बड़ी परियोजनाओं के कारण पड़ रही दरारों पर भी शंकराचार्य ने कहा कि अनियोजित विकास के कारण इस तरह के हालात उत्तराखण्ड़ में पैदा हो गये हैं. जरूरत है कि विकास परियोजनाओं का आकलन किया जाये उसके बाद उन्हें पहाड़ों में शुरू किया जाये. परियोजना कार्य जल्द से जल्द पूर्ण करने के चलते नियमों को ताक पर रखा जा रहा है जिसके हालात वर्तमान में देखने को मिल रहे हैं.


उधर आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा के मुताबिक चमोली के  जिलाधिकारी को एक सर्वेक्षण करने और ऐसी संरचनाओं की संख्या बताने का निर्देश दिया है, जिन्हें हटाया जाना है.जोशीमठ की जेपी कॉलोनी के सर्वे में पाया गया है कि इसे भी काफी नुकसान पहुंचा है. इसकी मरम्मत करना मुमकिन नहीं है. कॉलोनी में 30 से अधिक घर हैं जिनमें बड़ी दरारें आ गई हैं. ये बड़े हादसे की वजह बन सकती हैं. एहतियात के रूप में कॉलोनी के क्षतिग्रस्त भवनों को गिराने की तैयारी शुरू कर दी गई है.


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