लखनऊ: उत्तर प्रदेश में  लोकसभा चुनाव से पहले ही अपनी अहमियत बताते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं की एंट्री होने लगी है. बरेली के मौलाना तौकीर रजा हो या लखनऊ में शिया समुदाय के धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद. ये दोनों ही अपने तरीके से अब राजनीतिक बाते करने लगे हैं. राजधानी लखनऊ में देश भर से आए शियाओं का एक बड़ा सम्मेलन किया जा रहा है, जिसमें वक़्फ़ बोर्ड पहली बार शामिल होकर मुस्लिम धर्मगुरुओं और मौलनाओं के साथ बड़ा इमामबाड़ा में सम्मेलन का आयोजन कर रहा है. 


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सम्मेलन में की जाएगी मुस्लिमों के हित की बात
इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि कैसे यूपी शिया वक़्फ़ बोर्ड प्रॉपर्टीज़ को मुसलमानों के हित में लगाया जाए. क्योंकि बहुत ज्यादा तौर पर वक़्फ़ की संपत्ति को क़ब्ज़ किया हुआ है. उनको मुक्त कर कैसे मुस्लिमों के हित में लाया जाए.  इसके साथ शिया मुसलमानों को राजनीतिक रूप से सियासत में कैसे लाया जाए. चर्चा के लिए प्रदेश सरकार से सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम धर्मगुरू लखनऊ के बड़े इमामबाड़े पहुंच रहे हैं. पहली बार वक़्फ़ बोर्ड ने मुस्लिम माइनॉरिटीज के साथ सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है.


मौलाना तौकीर रजा कभी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के हितैषी थे, लेकिन अब वह अखिलेश का विरोध करते हैं. जबकि मौलाना कल्बे जवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ अपनी फोटो देखना पसंद करते हैं. अब यह दोनों ही धर्मगुरु मुस्लिम समाज की राजनीति में अनदेखी किए जाने पर सवाल उठाने लगे हैं. शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने शिया समाज का महासम्मेलन लखनऊ में करने का फैसला किया है. जिसके तहत लखनऊ के ऐतिहासिक आसिफी इमामबाडा (बड़े इमामबाड़े) में मौलाना जवाद इसी 12 मार्च को इज्तिमा (महासम्मेलन)है.


मुस्लिम शियाओं को नहीं मिल रही हिस्सेदारी-कल्बे जवाद
शिया समुदाय के धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद को तकलीफ है कि मुस्लिम समाज में शियाओं की तादाद कम होने के कारण हुकुमत, सियासत और तमाम क्षेत्रों में उन्हें बिल्कुल भी हिस्सेदारी नहीं मिल रही है. कम तादाद समझकर उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा है. चर्चा है कि मौलाना कल्बे जवाद इस महासम्मेलन के जरिए अपनी और शिया समुदाय की ताकत का इजहार करेंगे. मौलाना ने वीडियो संदेश में इच्छा जाहिर की है कि उनके इस कार्यक्रम में पूरा बड़ा इमामबाड़ा लोगों से भर जाए और एक इतिहास रच जाए.


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