Twin Towers Flat Buyers: भ्रष्टाचार की नींव पर बना सुपरटेक ट्विन टावर तो ढह गया, लेकिन इसी के साथ ढह गया सैकड़ों आम आदमियों के सपनों का आशियाना. सुप्रीम कोर्ट और प्रशासन की प्राथमिकता रही है ट्विन टावर्स एपेक्स और सियान में फ्लैट लेने वाले लोगों को या तो मुआवजा मिल जाए या फिर उन्हें कहीं और फ्लैट अलॉट किया जाए. हालांकि, अभी भी ट्विन टावर के कुछ फ्लैट बायर्स हैं जो अभी भी इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं. 


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ट्विन टावर गिरने के बाद अब वो लोग भी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने कभी अपना फ्लैट बुक किया था, लेकिन ना ही उन्हें सुपरटेक की तरफ से रिफंड मिला, ना ही दूसरा फ्लैट अलॉट हुआ. ये लोग सुप्रीम कोर्ट की इस लड़ाई में खुद को जीता हुआ तो महसूस कर रहे हैं, लेकिन उनके हाथ खाली ही हैं. 


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जीवन भर की सारी कमाई सुपरटेक के मलबे में
ट्विन टावर के मलबे से ऐसी कई दिल तोड़ने वाली कहानियां सामने आ रही हैं. ऐसे ही एक परिवार से ज़ी मीडिया ने बात की. इस परिवार ने अपने जीवन भर की पूंजी इस घर के लिए लगा दी, लेकिन न ही पैसा पाया और न ही फ्लैट पाया. आखिर में केवल मलबा ही दिखा. 


2011 में बुक किया था फ्लैट, अभी तक कोई मुआवजा नहीं
पीयूष गुप्ता नाम के एक बायर ने बताया कि साल 2011 में उन्होंने एपेक्स टावर में एक 2बीएचके फ्लैट बुक किया हुआ था. यह फ्लैट 39 लाख रुपये का था, जिसके लिए उन्होंने बैंक से 30 लाख का लोन लिया था. 2011 में ही सुप्रीम कोर्ट से ऑर्डर आ गया कि बिल्डिंग डिमोलिश की जाएगी और आगे कंस्ट्रक्शन नहीं चलेगा. इसके बाद 50 बायर्स और 60 बायर्स ने 2 ग्रुप बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की और कोर्ट से अपील की कि उन्हें पैसै वापस करवा दिए जाएं. यह केस जीत भी लिया. 


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सुपरटेक ऑफिस के कई चक्कर काटने के बाद भी नहीं मिले पैसे
जीतने के बाद दोनों बंच में से 12-12 लोगों को सुपरटेक ने पैसे वापस नहीं दिए. जिन्हें पैसे नहीं मिले, उन्होंने कंटेप्ट ऑफ केस के तहत कोर्ट में फिर से एक याचिका दायर की. यह केस भी बायर्स जीत गए. उसके बाद भी कंपनी ने कोई पेमेंट नहीं दिया. पीयूष गुप्ता ने बताया कि उनकी पत्नी लगातार कई दिनों तक पूरा-पूरा दिन सुपरटेक के ऑफिस में बैठती थीं. स्टाफ उन्हें आज-कल में चेक देने की बातें कहता रहता था, लेकिन करता कुछ नहीं था. 


2018 तक लगातार भरीं बैंक की किस्तें
सुपरटेक की तरफ से कोई राहत नहीं मिली. उल्टा साल 2018 तक गुप्ता परिवार लोन की किस्तें लगातार भरता रहा. अपना घर समय पर ना मिल पाने की वजह से वह एमरेल्ड कोर्ट में रेंट पर रहते हैं. ऐसे में घर का किराया, बच्चों की फीस और ऊपर से लोन की किस्तों का बोझ वह सालों से झेल रहे थे. साल 2018 में जब क्लियर हो गया कि बिल्डिंग गिरनी ही है, तो 2018 में किस्तें भरनी बंद कीं. 


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अब बैंक से लोन भी नहीं मिलेगा
पीयूष गुप्ता का कहना है कि वह आज की डेट में बैंक के डिफॉल्टर हैं. उनका सिविल पूरा खराब है. आज के समय में अगर वह दूसरा घर लेना भी चाहें तो बैंक उन्हें लोन नहीं देगा. अब परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील कर रहा है कि उनकी बात सुनें. वहीं, प्रशासन की ओर से उन्हें आश्वासन दिया जा रहा है कि उनकी बात सुनकर उन्हें जल्द राहत पहुंचाई जाएगी.


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