रामचरितमानस पर बहस को स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिर हवा दी, सपा नेता ने द्रोणाचार्य और एकलव्य को विवाद में घसीटा
रामचरितमानस विवाद अभी तक शांत नहीं हुआ है..इसी बीच आज सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे फिर से हवा देने की कोशिश की है....उन्होंने ट्वीट कर फिर से इस पर राजनीति शुरू कर दी है...
लखनऊ: यूपी में रामचरितमानस विवाद को लेकर कल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में बयान दिया तो आज फिर सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने नया बयान जारी कर दिया है. स्वामी ने फिर से गोस्वामी तुलसीदास के मानस में ताड़ना शब्द का मतलब समझाने की कोशिश की है.
सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा कि -नारी शूद्रो न धीयताम् यानी नारी व शूद्र को पढ़ने का अधिकार नहीं। शम्बूक ने पढ़ाने का प्रयास किया तो सिर काट दिया। द्रोणाचार्य के मना करने पर एकलव्य महान धनुर्धर बना तो अंगूठा कटवा लिया, ताड़ना का अर्थ शिक्षा बताने वाले या तो नादान हैं या जनता को नादान समझते हैं...
शिक्षा का अधिकार तो फूले, साहूजी महराज व डॉ. अम्बेडकर के प्रयासों से संविधान से मिला।
सीएम योगी ने दिया था जवाब
बता दें कि शनिवार को उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस को लेकर चल रहे विवाद पर योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया था. उन्होंने सपा पर जमकर हमला बोला था. सीएम योगी ने कहा कि मानस की प्रतियां जलाकर सपा ने संसार भर के 100 करोड़ हिंदुओं को अपमानित किया है. उन्होंने कविताओं के जरिए सपा पर निशाना साधा.इस दौरान योगी ने रामचरित मानस की विवादित पंक्ति का अर्थ भी समझाया।
सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल ढोल गंवार शूद्र पशु नारी... वाली लाइन दोहराई बल्कि ऐतिहासिक काल में लिखी गई इस पंक्ति का मतलब भी बता दिया. सीएम योगी ने कहा कि ‘रामचरितमानस अवधी में रची गई है. अवधी का एक वाक्य है, भया एतनी देर से केका ताड़त अहा. ताड़त का मतलब क्या मारने से होता है, इसका मतलब देखने से है.’ वहीं, अगर आप रामचरितमानस के सुदंरकांड में जाएंगे तो प्रसंग तब आता है जब भगवान राम तीन दिन तक लंका में जाने के लिए समुद्र से रास्ता मांगते हैं. तब चौपाई आती है कि भय भिन होई न प्रीति. लक्ष्मण तीर-धनुष लेकर आते हैं. चेतावनी के बाद समंदर आते हैं और भगवान राम से कहते हैं. यह वही पंक्ति हैं. ‘प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं, मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं, ढोल गवांर सूद्र पसु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी.’