कश्यप समाज को साधने के लिए अखिलेश यादव का मुजफ्फरनगर में सम्मेलन, क्या इससे मिलेगी सपा को मजबूती?
उत्तर प्रदेश चुनाव में ओबीसी वोट कितना महत्व रखता है यह शायद बताने की भी जरूरत नहीं. ऐसे में सभी दलों की नजर ओबीसी वोट बैंक पर ही है. इन्हें साधने के लिए पार्टियां कई तरह के जतन कर रही हैं. इसी कड़ी में आज अखिलेश यादव कश्यप समाज को टारगेट कर उन्हें अपने पाले में लेने के प्रयास में हैं...
मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में है. ऐसे में सभी दलों के साथ समाजवादी पार्टी भी यूपी की सत्ता पाने की कोशिश कर रही है. पूर्वांचल दौरे के बाद अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव वेस्ट यूपी पर फोकस कर रहे हैं, ताकि यहां पर अपनी पकड़ बना पाएं. ऐसे में अखिलेश मुजफ्फरनगर के बुढाना में कश्यप सम्मेलन करने जा रहे हैं. इसके अलावा, यह भी बताया जा रहा है कि सपा में आए दिग्गज जाट नेता हरेंद्र मलिक के घर भी अखिलेश यादव जाएंगे.
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सपा का फोकस कश्यप पर
उत्तर प्रदेश चुनाव में ओबीसी वोट कितना महत्व रखता है यह शायद बताने की भी जरूरत नहीं. ऐसे में सभी दलों की नजर ओबीसी वोट बैंक पर ही है. इन्हें साधने के लिए पार्टियां कई तरह के जतन कर रही हैं. इसी कड़ी में आज अखिलेश यादव कश्यप समाज को टारगेट कर उन्हें अपने पाले में लेने के प्रयास में हैं.
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कश्यप सम्मेलन के जरिये जनता से करना चाहते हैं यह बात
सपा के राज्यसभा संसद विशम्भर प्रसाद निषाद ने कहा है कि कश्यप सम्मेलन के जरिये मुजफ्फरनगर की जनता यह बता रही है कि कश्यप, निषाद और अन्य जाति के लोग सपा का साथ दे रहे हैं. उनका कहना है कि इस बार के चुनाव में पूरे प्रदेश में खूब साइकिल चलने वाली है. निषाद कहते हैं कि किसानों के मुद्दे और महंगाई पर वह जनता से संवाद करेंगे और अखिलेश यादव जनता को अपने साथ जोड़ेंगे. इस बार बदलाव जरूर होगा.
भाजपा ने भी किया था कश्यप सम्मेलन
गैरतलब है कि बीते 30 अक्टूबर को लखनऊ में भाजपा ने निषाद, मल्लाह, केवट, बिंद और कश्यप समाज के लिए सम्मेलन किया था. अब सपा भी वेस्ट यूपी में कश्यपों को साधने की कोशिश कर रही है.
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ये जातियां भी कश्यप समाज में आती हैं
बता दें, उत्तर प्रदेश में कश्यप वर्ग को लेकर कोई ऑफिशियल आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. साल 2001 में ही राज्य सरकार ने सामाजिक न्याय समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कहार और कश्यप जाति के करीब 25 लाख लोग हैं. राज्य में इन जातियों को निषाद समूह में रखा गया है. वहीं, निषाद, केवट, बिंद, मल्लाह जाति के लोग अपना सरनेम कश्यप लिखते हैं.
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