Dimple Yadav Samajwadi Party: डिंपल यादव ने जिन सीटों पर जाकर जनता से मुलाकात की और पार्टी का प्रचार किया, वहां-वहां बीजेपी को शिकस्त प्राप्त हुई. सिराथू बीजेपी प्रत्याशी डिप्टी सीएम केशव मौर्य इसका बड़ा उदाहरण हैं. पहले तो सपा ने बड़ा दांव चलते हुए केपी मौर्य के सामने अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी को उतारा...
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UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी ने कई दलों के साथ गठबंधन किया, लेकिन फिर भी उतनी सफलता नहीं मिल पाई जितने की उम्मीद थी. चुनाव की रेस में125 सीट का आकंड़ा पूरा कर सपा और सहयोगी दलों की ताकत खत्म हो गई. कई छोड़े-बड़े नेताओं ने जनसभा और रोडशो कर अपनी सारी ताकत झोंक दी, लेकिन सपा को जितनी भी सफलता मिली, उसे दिलाने में कामयाब हुईं केवल डिंपल यादव.
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समाजवादी पार्टी पर उठे सवाल
चुनाव के पांचवें चरण में कौशांबी की सिराथू सीट पर मतदान थे. वोटिंग से पहले डिंपल यहां प्रचार करने पहुंचीं और फैसला सपा के पक्ष में आया. अब देखा जाए तो समाजवादी पार्टी पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि डिंपल यादव को पहले मैदान में क्यों नहीं उतारा? आखिरी चरणों में सपा ने मेहनत करते हुए नए प्लान बनाए और डिंपल से प्रचार करवाने का प्लान सक्सेसफुल भी होता दिखा.
डिंपल ने प्रचार कर 80% जीत हासिल की
जानकारी के मुताबिक, डिंपल यादव ने जिन सीटों पर जाकर जनता से मुलाकात की और पार्टी का प्रचार किया, वहां-वहां बीजेपी को शिकस्त प्राप्त हुई. सिराथू बीजेपी प्रत्याशी डिप्टी सीएम केशव मौर्य इसका बड़ा उदाहरण हैं. पहले तो सपा ने बड़ा दांव चलते हुए केपी मौर्य के सामने अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी को उतारा. फिर, डिंपल यादव को प्रचार करने भेजा. बताया जा रहा है कि डिंपल यादव ने 5 सीटों पर प्रचार किया और 4 में सपा को जीत मिली. इस प्रकार उनकी जीत का सक्सेस रेट 80 फीसदी रहा, जो किसी और स्टार प्रचारक के सक्सेस रेट से बहुत ज्यादा है.
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कौन सी हैं वह चार विधानसभा सीटें
सिराथू के अलावा, कौशांबी की चायल सीट, मंझनपुर विधानसभा सीट, मछलीशहर वह सीटें हैं जहां डिंपल की जनसभा की वजह से चुनाव का नतीजा सपा के पक्ष में आया. वहीं, मड़ियाहूं में भी डिंपल यादव ने जनसभा की, लेकिन सपा महज 1206 वोटों से हार गई. यहां अपना दल (एस) के डॉ. आरके पटेल ने सुषमा पटेल को हराया.
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क्या रहा डिंपल यादव को मैदान में न उतारने का कारण
समाजवादी पार्टी द्वारा डिंपल यादव को मैदान में न उतारने का कारण मानी जाती है 2017 की वह जनसभा, जिसमें उनके भाषण के दौरान कार्यकर्ताओं ने अभद्र नारे लगाए थे.
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