लखनऊ: कोरोना महामारी के दौरान मदरसों में की गई नियुक्तियों को लेकर खेल सामने आ रहा है. उस वक्त जब सभी स्कूल-कॉलेज बंद चल रहे थे, लॉकडाउन लगा हुआ था, मौका देखकर मदरसों में अध्यापकों व अन्य कर्मचारियों की गलत तरीके से नियुक्तियां कर दी गईं. यही नहीं, यूपी मदरसा शिक्षा परिषद ने भी गुपचुप तरीके से इन्हें स्वीकृति भी दे दी.


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ऐसा हुआ खेल 
उत्तर प्रदेश में 558 मदरसे ऐसे हैं जो अनुदानित हैं. इनमें शिक्षक तथा अन्य कर्मचारियों की नियुक्तियों का अधिकार प्रबंधक कमेटियों को है. नियम यह है कि यहां नियुक्तियों के लिए उत्तर मदरसा शिक्षा परिषद का अनुमोदन लेना पड़ता है. कोरोना के दौरान विभिन्न जिलों में मदरसों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां की गईं. वह भी तब जबकि मदरसे, स्कूल-कॉलेज सब बंद चल रहे थे.


तीन सौ से अधीक की गई नियुक्तियां 


  • आजमगढ़ मंडल में ही लगभग सौ नियुक्तियां की गई.

  •  प्रयागराज में तीस से ज्यादा नियुक्तियां की गई.

  • कानपुर में 20 से ज्यादा नियुक्तियां दी गई.


बताया जा रहा है कि कुल तीन सौ से ज्यादा नियुक्तियां इस अवधि में की गईं है. 


मदरसों में छात्र लगातार हो रहे कम 
पूरे मामले में जब ज़ी यूपी उत्तराखंड ने यूपी के अल्पसंख्यक मंत्री से सवाल पूछा तो उन्होंने भी इस बात को माना है कि नियम विरुद्ध भर्ती हुई है और इसपर जल्द कार्रवाई की जाएगी.ज़ी यूपी उत्तराखंड की पड़ताल में ये भी सामने आया है कि मदरसों में छात्र लगातार कम हो रहे हैं, फिर ऐसी जल्दी में नियुक्तियों की क्या जरूरत पड़ गई.


2016 से लगातार छात्रों की संख्या में आई है कमी 


  •  वर्ष 2016 में मदरसा बोर्ड की परीक्षाओं में कुल 4 लाख 22 हजार 667 विद्यार्थी रजिस्टर्ड थे

  • वर्ष 2017 में यह संख्या घटकर तीन लाख 71 हजार 52 रह गई

  • वर्ष 2018 में दो लाख 70 हजार 755

  • वर्ष 2019 में दो लाख छह हजार 337

  • वर्ष 2020 में एक लाख 82 हजार 259

  • वर्ष 2021 में एक लाख 82 हजार थे

  • इस वर्ष 2022 में एक लाख 63 हजार 999 छात्र ही रह गए


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