लखनऊ: UPTET Paper Leak मामले में सीएम योगी के आदेश पर लगातार जांच के साथ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. इसी क्रम में STF ने गिरफ्तार आरोपी परीक्षा नियामक प्राधिकारी (PNP) संजय उपाध्याय (Sanjay Upadhyay) से पूछताछ की. इस दौरान एक और बड़ा खुलासा हुआ. संजय उपाध्याय की प्रिटिंग कराने वाली कंपनी के डायरेक्टर राय अनूप प्रसाद से कई बार मुलाकात हुई. आरोपी संजय ने बताया कि वह प्रिंटिंग कंपनी आरएसएम फिनसर्व के डायरेक्टर से तीन बार लखनऊ में और एक आखिरी बार नोएडा के होटल में मिला था. बता दें, शासन ने संजय उपाध्याय को बीते मंगलवार ही निलंबित किया था.


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13 करोड़ में दिया गया था कॉन्ट्रैक्ट
बताया जा रहा है कि नई दिल्ली की आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड उप्र टीईटी–2021 को यह वर्क ऑर्डर 26 अक्टूबर को दिया गया था. उस समय पेपर प्रिंटिंग कंपनी के पास वर्क ऑर्डर लेते वक्त पूरा स्टाफ भी नहीं था. वहीं, 23 लाख पेपर छापने के लिए 13 करोड़ का प्रस्ताव था. 


बिना जांच किए सौंप दी गई इतनी बड़ी जिम्मेदारी
एसटीएफ जांच में पता चला है कि आरोपी संजय उपाध्याय और राय अनूप प्रसाद एक दूसरे को पहले से ही जानते थे. संजय को पता था कि अनूप की कंपनी के पास सिक्योरिटी प्रिंटिंग की कोई सुविधा नहीं थी. इसके बावजूद, बिना कोई जांच कराए, वर्क ऑर्डर इस कंपनी को दे दिया गया. साथ ही, प्रिंटिंग प्रेस का निरीक्षण तक नहीं किया गया. अब जांच में संजय को सरकारी धन का गलत इस्तेमाल करने का आरोपी पाया गया है. 


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सेक्योरिटी प्रिंटिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी
जानकारी के मुताबिक, सेक्योरिटी प्रिंटिंग में एक पेपर की लागत 50 रुपये होती है. जाहिर है कि यह नॉर्मल प्रिंटिंग से कई ज्यादा है. इस बात की जानकारी होने के बावजूद संजय उपाध्याय ने ऐसी कंपनी को काम दिया, जिसके पास इस स्पेशल प्रिंटिंग की कोई व्यवस्था नहीं है और सरकार द्वारा बनाए गए एक भी मानक को पूरा नहीं करती है. 


एसटीएफ के सवालों का नहीं दे पाया जवाब
बता दें, आरएसएम फिनसर्व लिमिटेड कंपनी ने चार अलग नॉर्मल तरीकों से प्रश्नपत्र छापे थे. वहीं, सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी, जिसकी वजह से के पेपर लीक हो गया था. जब ये तथ्य सामने आए तो एसटीएफ ने संजय उपाध्याय से लंबी पूछताछ की. उससे सवाल पूछा गया कि क्या मानकों की अनदेखी कर के चहेती कंपनी को ऑर्डर दिया गया है? इस सवाल का संजय उपाध्याय कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. 


21 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों का भविष्य इसपर टिका
गौरतलब है कि यूपीटीईटी का एग्जाम 28 नवंबर को रखा गया था, लेकिन परीक्षा शुरू होने पहले ही पेपर लीक हो गया था. ऐसे में एग्जाम को तत्काल रूप से रद्द कर दिया गया. इस परीक्षा में 21 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने अप्लाई किया था. योगी सरकार ने इस पूरे केस को गंभीरता से लिया और तुरंत जांच के आदेश दिए. इसके बाद कई लोगों पर कार्रवाई हुई. इंटरनेट मीडिया पर पेपर लीक करने सहित सॉल्वर गैंग के करीब 35-36 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं, पीएनपी सचिव संजय उपाध्याय के बाद अब और भी बड़े आरोपियों की गिरफ्तारियां हो सकती हैं. 


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