लखनऊ : उत्तर प्रदेश में इस बार आलू की बंपर पैदावार (Potato MSP) ने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है. अभी भी पूर्वांचल के कई इलाके में आलू की खुदाई का काम जारी है. लेकिन आलू का उत्पादन ज्यादा होने के चलते मंडियों में भाव में लगातार कम हो रहा है. किसानों की परेशानी यहीं नहीं कम हो रही  है, उन्हें आलू स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोरेज में भी जगह नहीं मिल पा रही है. कई कोल्ड स्टोरेज अभी से ही हाउसफुल का बोर्ड लगा चुके हैं. हालात ये हैं कि किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि वह अपना आलू कैसे बचाएं. 


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बंपर उत्पादन से आलू किसान मुसीबत में
देश में उत्तर प्रदेश सबसे अधिक आलू उत्पादन करता है. देश में कुल उत्पादन का 35 फीसदी आलू राज्य के किसानों के द्वारा उत्पादित किया जाता है. कानपुर मंडल कन्नौज और फर्रुखाबाद जनपद में सबसे अधिक आलू की खेती होती है, तो वहीं आगरा मंडल में बड़े संख्या में किसानों के द्वारा आलू पैदा किया जा रहा है. कानपुर मंडल के कन्नौज और फर्रुखाबाद में इस बार 93 हजार हेक्टेयर भूमि पर आलू की फसल बोई गई थी. वहीं इस बार कानपुर मंडल में ही 30 लाख मीट्रिक टन से अधिक आलू उत्पादन का अनुमान जताया गया है. साफ है कि आने वाले दिनों में आलू उत्पादक किसानों की परेशानी और बढ़ेगी. उत्तर प्रदेश की प्रमुख मंडियों में आलू का भाव 400-500 रुपये प्रति क्विंटल तक है. जबकि चिप्सोना आलू का रेट 800 रुपए प्रति क्विंटल तक किसानों को मिल रहा है. वहीं एक बीघा आलू की खेती करने में 30,000 रुपये तक तक लागत आती है. 


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आम आदमी को क्यों नहीं मिल रही राहत
हैरानी की बात ये है कि एक तरफ किसानों को उनकी लागत नहीं मिल पा रही. कोल्ड स्टोरेज में आलू का एक्स्ट्रा स्टॉक पड़ा है लेकिन सब्जी मंडी में अब भी आलू 10 से 12 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. जाहिर है कि बिचौलिए बीच में खेल खेल रहे हैं. आलू किसानों की समस्या को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि ''अबकी बार आलू बदल देगा सरकार.'' उन्होंनेट ट्विटर पर आलू किसानों की समस्याएं गिनाई हैं.



इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री शिवपाल यादव ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्विट कर सरकार से मांग की है कि न्यूनतम 1500 रुपए प्रति पैकेट की दर से आलू की खरीद करनी चाहिए.


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