हरिद्वार: उत्तराखंड में इन दिनों अनोखी सियासत शुरू हो गई है. देवभूमि में टेलिफोनिक पॉलिटिक्स हो रही है. खास बात यह है कि यह सियासत उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) के बीच शुरू हुई है. वहीं, टेलीफोन की एंट्री से पहाड़ों में राजनीतिक पारा बढ़ने लगा है. आइए आपको बताते हैं यह नई फोन पॉलिटिक्स आखिर है क्या?


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हरदा ने लगाए गंभीर आरोप
दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आगामी 6 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास पर उपवास पर बैठने वाले हैं. ऐसी संभावनाएं जताई जा रही हैं कि ये आंदोलन कई दिनों तक चल सकता है. बता दें कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव में हो रही देरी को हरदा ने लोकतंत्र की हत्या की साजिश बताया है.


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इशारों में सीएम धामी ने कहा
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के उपवास पर बैठने के सवाल पर सीएम पुष्कर धामी ने कई सवाल खड़े किए हैं. तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हरीश रावत जी वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें धरने पर बैठने की क्या जरूरत है. वह मुझे फोन से कह देंगे, वह मुझे फोन करते ही रहते हैं. 


हरीश रावत का फोन नहीं आया
मुख्यमंत्री धामी इशारों ही इशारों में पूर्व मुख्यमंत्री पर हरीश रावत पर ये तंज कसा. सीएम धामी उन्हें कहा हरीश रावत का फोन नहीं आया. दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया में यह पोस्ट किया कि हरिद्वार में पंचायत चुनाव से जुड़े मामले में मुख्यमंत्री से मिलना चाहते हैं, लेकिन अब जब उनकी मुलाकात नहीं हो पाई है. इसलिए वह मुख्यमंत्री आवास पर उपवास में बैठेंगे.


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6 अगस्त को सीएम आवास करेंगे उपवास
सीएम आवास के बाहर उपवास करने की घोषणा करते हुए हरीश रावत ने कहा, "भाजपा सरकार नहीं चाहती कि चुनाव में अच्छे नेता जीतें. इसलिए उत्तराखंड की भाजपा सरकार पंचायत चुनाव को टालकर, लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर रही है. हरदा ने यह भी कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री धामी से बात नहीं हो पा रही है. इसलिए वह आगामी 6 अगस्त को मुख्यमंत्री के देहरादून स्थित सीएम आवास पर उपवास करेंगे. इस मामले में हरदा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी एक पोस्ट लिखा है.


माहरा ने लगाए गंभीर आरोप 
दरअसल, इस पूरे मामले में उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करन माहरा ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि हार के डर से हरिद्वार में पंचायत चुनाव टाला जा रहा है. यदि ऐसा नहीं होता तो कैबिनेट बैठक में इस बारे में फैसला लिया जाना चाहिए था. माहरा ने अधिकारी मिलीभगत से पंचायत चुनाव की परिसीमन और सीटों के आरक्षण में गड़बड़ी कर रहा है. फिलहाल, देखना है कि इस पूरे मामले में आगे क्या होता है.