सड़क की पटरी पर फल बेचने वाले का बेटा बना DSP, सघर्ष की मिसाल बनी अरविंद सोनकर की कहानी
यूपीपीसीएस के नतीजे आ गए हैं. इस बार कई ऐसे अभ्यर्थियों ने परीक्षा में बाजी मारी है, जो बेहद गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही एक सफल अभ्यर्थी अरविंद सोनकर की सक्सेस स्टोरी.
मऊ : कुछ करने का जज्बा हो तो हर तरह की मुश्किलों को पराजित किया जा सकता है. मऊ जिले के अरविंद सोनकर ने इस बात को सच साबित कर दिया है. अरविंद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर डीएसपी बन गए हैं. उनकी सफलता इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि उनका ये सफर संघर्षों भरा रहा है. अरविंद नसोपुर गांव के रहने वाले हैं. पिता गोरख सोनकर नगर के भीटी क्षेत्र में फल बेंचकर परिवार का गुजारा करते थे. दो बेटों और एक बेटी में सबसे छोटे अरविंद सोनकर की प्रारंभिक पढ़ाई रामस्वरूप भारती इंटर कॉलेज मऊ से हुई. इसके बाद ग्रेजुएशन इलाहाबाद में करते हुए सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए.
इसी बीच अरविंद सोनकर की मां का कैंसर से निधन हो गया जबकि पिता गोरख सोनकर को भी लकवा मार दिया. इसके बाद अरविंद के मामा ने आकर गोरख का फल वाला ठेला संभाल लिया और बहन के परिवार की परविश और भांजे की पढ़ाई का भार उठाने लगा. आज अरविंद के इस संघर्षपूर्ण सफलता पर जहां एक ओर परिवार के लोग फूले नहीं समा रहे हैं. वहीं क्षेत्र के लोगों का अरविंद के परिवार को बधाई देने के लिए तांता लगा हुआ है.
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अरविंद के घर गरीबी की हालत यह है कि आज भी इनके परिवार का खाना लकड़ी चूल्हे पर बनता है. परंतु कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का हौसला यदि ठान लें तो परिस्थितियां आड़े नहीं आती,आज इसी को चरितार्थ करते हुए अरविंद ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में 86 वां स्थान पाकर डीएसपी जैसे प्रशासनिक पोस्ट पर पहुंच गए हैं. उनकी यह सफलता ऐसे युवाओं के लिए संदेश है जो छोटी-छोटी बातों में हताश हो जाते हैं.
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