सुरेंद्र दसीला/देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ हरक सिंह रावत की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं. हरक सिंह रावत से कार्बेट की पाखरो रेंज के मामले में विजिलेंस ने कार्रवाई तेज कर दी है. बताया जा रहा है कि विजिलेंस की टीम ने उनके बेटे के प्रतिष्ठान पर छापेमारी की है. 


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विश्वप्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क की पाखरो रेंज में 215 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले की जांच अब पूरे कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता डॉक्टर हरक सिंह रावत तक पहुंच गई है. बुधवार को हल्द्वानी विजिलेंस सेक्टर की टीम और देहरादून विजिलेंस टीम हरक सिंह रावत के बेटे के दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस कालेज में छापेमारी के लिए पहुंची. हरक सिंह रावत के देहरादून स्थित मीरावती फिलिंग स्टेशन नेपाली फार्म में भी विजलेंस टीम ने छापेमारी की.


साल 2019 में पाखरों रेंज में बिना वित्तीय स्वीकृति और अनुमति के निर्माण कार्य शुरू किया गया. इस रेंज में तत्कालीन वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट टाइगर सफारी का 106 हेक्टेयर में निर्माण किया जा रहा था. मामले में वकील और वन्य जीव संरक्षण करता गौरव बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसके साथ ही उन्होंने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी में भी इसकी शिकायत की थी.


इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और एनजीटी की टीम में स्थलीय निरीक्षण किया था, जिसमें 215 करोड़ के घोटाले होने की बात सामने आई थी.


क्या है पूरा मामला


पिछले साल विजिलेंस सेक्टर हल्द्वानी ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया इसके बाद तत्कालीन रेंजर बृज बिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया गया. 24 दिसंबर 2022 को डीएफओ किशन चंद को भी मामले में गिरफ्तार किया गया. हालांकि रेंजर ब्रिज बिहारी शर्मा की जमानत हो चुकी है लेकिन किशनचंद अभी भी मामले में जेल में बंद है. इस मामले में निर्धारित अनुमति से ज्यादा रिजर्व फॉरेस्ट के हरे पेड़ कटवाने सरकारी धन का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार में संकट होने के अधिकारियों पर आरोप थे.


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रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 6093 पेड़ अतिरिक्त काटे गए. टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था. इसे कमीशन और अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया गया.  इस मामले में उत्तराखंड विजिलेंस की टीम अब हरक सिंह रावत से भी जांच करने पहुंची हैं. हालांकि मामले में हरक सिंह रावत ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है.


बीजेपी को मिला सियासी वार का मौका


इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि कोई भी नेता जब तक भाजपा में होता है तो दूध का धुला होता है. किसी भी तरह के आरोप हों लेकिन कोई जांच नहीं होती लेकिन कांग्रेस में आता है तो फिर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके इस तरीके से मामलों की जांच के नाम पर एक पक्ष की कारवाई शुरू हो जाती है. भाजपा का कहना है की जांच एजेंसियों पर किसी तरीके का सरकार का कोई प्रभाव नहीं है जांच एजेंसियां स्वतंत्र हैं और उसी तरह से जांच करती हैं मामले में अगर हरक सिंह रावत गलत नहीं है तो फिर कांग्रेस किस तरह के बयान क्यों दे रही है पूरी जांच हो जान देनी चाहिए. 


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