Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सुरंग पर क्या बाबा बौखनाग का `प्रकोप`, पहाड़ पर दिखी शिव की रहस्यमयी आकृति
Uttarkashi News : उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल हादसे को पखवाड़े भर बीत चुके हैं, लेकिन अब तक श्रमिक बाहर नहीं पाए हैं. राज्य और केंद्र की कई एजेंसियां राहत कार्य में जुटी हैं. इस बीच ग्रामीणों का एक दावा चौकाने वाला है...आइए जानते हैं क्या कहना है ग्रामीणों का.
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूर कब सुरक्षित वापस लौटेंगे इस पर देशभर की नजरें हैं. लोग मजदूरों की सुरक्षित वापसी की दुआएं कर रहे हैं. मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन का सोलहवां दिन है. कई एजेंसियां लगातार राहत कार्यों में जुटी हैं. हालांकि अब तक दिन-रात मेहनत के बावजूद अब तक श्रमिकों को बाहर नहीं निकाला जा सका है. इस बीच स्थानीय ग्रामीण इसे बाबा बौखनाग देवता का श्राप मान रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सुरंग बनने की वजह से बाबा नाराज हो गए, इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं हो पा रहा है.
टनल के पास बसे लोगों का कहना है कि बौखनाग देवता की नाराजगी की वजह से सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू नहीं हो पा रहा है और बार-बार इसमें अड़चनें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि जब तक बाबा बौखनाग के मंदिर का पक्का निर्माण नहीं होगा और उनकी विधिवत तरीके से पूजा अर्चना नहीं होगी तब तक राहत कार्य सफल नहीं होगा.
बाबा बौखनाग से जुड़ी मान्यता
दरअसल उत्तरकाशी के राड़ीटॉप इलाके में बाबा बौखनाग का मंदिर स्थित है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि बाबा बौखनाग हमारी रक्षा करते हैं. पहाड़ों के बीच बने इस मंदिर पर हर साल प्रसिद्ध मेला लगता है. ऐसी मान्यता है कि बाबा बौखनाग के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता यह भी है कि बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई है. भगवान श्रीकृष्ण टिहरी में सेम मुखेम से आए थे. हर साल सेम मुखेम और बाबा बौखनाग के मंदिर पर मेले का आयोजन होता है. गांव वालों का कहना है कि ये मंदिर जहां स्थिति है. उसके ठीक नीचे से ही सुरंग गुजर रही है. ऐसे में उनकी पूंछ के नीचे से सुरंग का गुजरना अमंगलकारी हो सकता है.
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मंदिर बनाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर का पक्का निर्माण किया जाए. विधि विधान के साथ पूजा अर्चना हो. इसके बाद ही राहत कार्य हो पाएगा. जब तक बाबा का आशीर्वाद नहीं मिलेगा तब तक इसी तरह रेस्क्यू में अड़चनें आती रहेंगी. आज मजदूरों को सुरंग में फंसे हुए पखवाड़े भर बीत चुके हैं, जबकि श्रमिक वहीं के वहीं फंसे हैं. बचाव कार्य में लगी एजेंसियों को उन्हें वापस निकालने में कई परेशानी आ रही हैं.
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