उत्तराखंड: उत्तराखंड में केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल का एक बड़ा फैसला सुनाया है. यह फैसला ट्रिब्यूनल ने आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी के पक्ष में सुनाया है. दरअसल, राजीव भरतरी ने सरकार के आदेश के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिसमें ट्रांसफर जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर किया गया था. सरकार ने फैसले को राजीव भरतरी ने संविधान के खिलाफ बताया था.


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यह है पूरा मामला
दरअसल, बीते 25 नवंबर को उत्तराकंड सरकार ने एक आदेश पारित किया था. इसमें उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) के पद पर कार्य कर रहे राजीव भरतरी का तबादल किया गया था. राजीव को जैव विविधता बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था. वहीं, विनोद सिंघल को नए पीसीसीएफ के तौर पर नियुक्त किया गया था. बता दें कि राज्य में पीसीसीएफ वन विभाग का प्रमुख होता है, इनका चुनाव राज्य के मंत्रीमंडल द्वारा किया जाता है. यह पद पुलिस विभाग के प्रमुख के बराबर होता है.


राजीव भरतरी 1986 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं. इससे पहले वे जैव विविधता बोर्ड के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. एक जनवरी 2021 को प्रमोशन के बाद उन्हें पीसीसीएफ बनाया गया था, तभी से वे इस पद पर कार्य कर रहे थे.


इस वजह से हुआ था तबादला
जानकारी के मुताबिक कार्बेट नेशनल पार्क में अवैध कटान पर कार्यवाही करने के बाद राच्य के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने भरतरी का स्थानांतरण किया था. राजीव ने याचिका दायर कर कहा था कि वे राज्य में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के सबसे वरिष्ठतम अधिकारी हैं. सरकार द्वारा किया गया उनका स्थानांतरण संविधान के खिलाफ है. सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उनका तबादल राजनीतिक कारणों के चलते किया गया है, इससे उनके संविधानिक अधिकारों का हनन हुआ है.  


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केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और एनएस धानिक की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया. साथ ही पीसीसीएफ के पद पर राजीव भरतरी की बहाली का सरकार को आदेश दिया है.  


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