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Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को लगभग 72 घंटे बीत चुके हैं. टनल हादसे में 40 लोग जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. सभी मजदूरों को बाहर निकालने की जद्दोजहद लगी हुई है. हर कोई यही चाह रहा है कि जल्द से जल्द सभी को सकुशल बाहर निकाल लिया जाए. टनल में फंसे 40 लोगों में से एक उत्तराखंड के कोटद्वार में रहने वाले गबर सिंह नेगी भी हैं.
गबर सिंह मजदूरों के सुपरवाइज़र हैं और अंदर फंसे लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं. बता दें कि सुपरवाइज़र गबर सिंह नेगी के परिवार में उनकी माँ, पत्नी और दो बेटे हैं. गबर सिंह नेगी का परिवार पिछले 3 दिन से टनल साइट पर उनके बाहर आने का इंतज़ार कर रहा है. उनके बेटे आकाश नेगी की कल शाम और आज सुबह पाईप के ज़रिये अपने पिता से बात हुई थी. आकाश ने मीडिया को जानकारी दी कि उनके पिता गबर सिंह नेगी ने कहा कि मैं अपने साथियों के बाद ही बाहर आऊंगा.
चिंता मत करो..
उन्होंने कहा कि यहां पर सबका हौसला बुलंद है. तुम चिंता मत करना और परिवार का ख्याल रखना. वहीं गबर सिंह का परिवार रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी पर सवाल उठा रहा है. हादसा रविवार सुबह 5 और 6 बजे के बीच हुआ और उसके तुरंत बाद ही प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए मौके पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी को रेस्क्यू में लगा दिया है.
विमान से मंगाई एडवांस मशीन
टनल में फसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब नॉर्वे और थाईलैंड की विशेष टीमों की मदद ली जा रही है. एयरफोर्स के तीन विशेष विमान 25 टन भारी एडवांस मशीन लेकर आ रहे हैं. बता दें कि यह एडवांस मशीने मलबे को भेद कर स्टील पाइप दूसरी तरफ पहुंचने में मददगार साबित होगी. इस मशीन के जरिए प्रति घंटे 5 मीटर मलबा निकला जा सकता है.
थाईलैंड की ली जा रही मदद
आज शाम से इस मशीन के जरिए काम शुरू करने की कोशिश की जा सकती है. भारतीय रेस्क्यू टीम ने थाईलैंड की उस रेस्क्यू कंपनी से संपर्क किया है, जिसने थाईलैंड की गुफा में फंसे बच्चों को बाहर निकाला था. इसके अलावा नॉर्वे की एन जी आई एजेंसी से भी रेस्क्यू टीम ने संपर्क किया है. वहीं भारतीय रेल, आर वी एन एल, राइट्स एवं इरकॉन के विशेषज्ञों से भी सुरंग के भीतर ऑपरेशन से संबंधित सुझाव लिए जा रहे हैं.
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