Haldwani Violence: उपद्रवियों की खूनी साजिश क्यों नहीं भांप सका पुलिस प्रशासन, 10 दिनों से चल रहा अतिक्रमण विरोधी अभियान
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Haldwani Violence: उपद्रवियों की खूनी साजिश क्यों नहीं भांप सका पुलिस प्रशासन, 10 दिनों से चल रहा अतिक्रमण विरोधी अभियान

Haldwani Violence: अवैध कब्जा के खिलाफ एक्शन को लेकर हल्द्वानी शहर हिंसा की आग में जला उठा. अब तक चार लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि कई घायल हैं. हिंसा को लेकर पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं. 

Haldwani Violence: उपद्रवियों की खूनी साजिश क्यों नहीं भांप सका पुलिस प्रशासन, 10 दिनों से चल रहा अतिक्रमण विरोधी अभियान

Haldwani Violence: उत्तराखंड के नैनीताल जिले का हल्द्वानी शहर हिंसा की आग में जल उठा. अब तक चार लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि कई घायल हैं. पुलिस स्थित को सामान्य करने में जुटी है. फिलहाल इलाके में तनाव का माहौल है. घटना को लेकर शुक्रवार को  नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की. उन्होंने कहा, जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया है, उससे साफ लग रहा है कि इसकी साजिश पहले से की गई थी. लेकिन सवाल उठ रहा है कि अगर सुनियोजित साजिश के तहत उपद्रवियों ने ये हिंसा भड़काई तो पुलिस प्रशासन को इसकी भनक क्यों नहीं लग पाई.  

प्लानिंग में चूक!
पुलिस ने कार्रवाई की प्लानिंग की लेकिन तंक गलियां इसमें रोड़ा बनती दिखीं. यहां चारों तरफ बस्तियों के चक्रव्यूह में पुलिस प्रशासन फंसा दिखाई दिया. उपद्रवियों ने छतों से पथराव शुरू कर दिया. इसमें बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी और निगम कर्मी घायल हुए. जिसके चलते मजबूरन पुलिस प्रशासन और नगर निगम की टीम को वापस लौटना पड़ा. बताया जा रहा है कि मौके पर दूसरे जिले से आई पुलिस भी इलाके को भांप नहीं सकी. फोर्स अंदर तो घुसा लेकिन चक्रव्यूह में फंस गया. 

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टाइमिंग को लेकर सवाल
पुलिस प्रशासन ने 4 फरवरी को हुए विरोध को हल्के में लिया. कई मौकों पर ड्रोन से निगरानी करने वाला पुलिस प्रशासन बिना हवाई सर्वे किए ही क्षेत्र में कार्रवाई करने गया. इसके अलावा सवाल टाइमिंग को लेकर भी उठ रहे हैं कि इतने संवेदनशील क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए 3 बजे के आसपास तैयारी शुरू की. थाने के बाहर पुलिस फोर्स पहुंची. शाम को जब टीम अतिक्रमण ढहाने पहुंची तो लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई हौ विरोध शुरू हो गया. 

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क्या बोलीं डीएम ?
वहीं डीएम ने घटना को लेकर कहा, " अभियान शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुआ. पूरी प्रक्रिया ठीक से होने के बावजूद आधे घंटे के भीतर एक बड़ी भीड़ ने हमारी नगर निगम टीम पर पहला हमला किया. ये योजना बनाई गई थी कि जिस दिन डिमोलिशन अभियान चलाया जाएगा. उस दिन बलों पर हमला किया जाएगा. हमने पत्थरों वाली पहली भीड़ को तितर-बितर कर दिया गया और दूसरी भीड़ जो आई उसके पास पेट्रोल से भरे बोतल थे उसमें उन्होंने आग लाग के फेंकी.''

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डीएम ने आगे कहा, 'भीड़ ने थाने को घेर लिया और थाने के अंदर मौजूद लोगों को बाहर नहीं आने दिया गया. उन पर पहले पथराव किया गया और फिर पेट्रोल बम से हमला किया गया. थाने के बाहर वाहनों में आग लगा दी गई और धुएं के कारण दम घुटने लगा. पुलिस थाने की सुरक्षा के लिए ही आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.''

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