कुलदीप नेगी/देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Vidhansabha Chunav 2022) से पहले राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी ने कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को पार्टी से  बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान सामने आया है. धामी ने रावत की बीजेपी से छुट्टी की बड़ी वजह बताई है. सीएम ने कहा है कि रावत पार्टी पर दबाव बना रहे थे, जिसके चलते उन्हें बाहर किया गया.


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कांग्रेस में जा सकते हैं हरक
राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि सोमवार को हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हरक सिंह ने अपने एक बयान में कहा भी है कि कांग्रेस की सरकार पूर्ण बहुमत से आ रही है। 'मैं कांग्रेस ज्वाइन करूंगा।' आरोप है कि हरक सिंह रावत पार्टी पर तीन टिकट देने का दबाव बना रहे थे. सूत्रों के मुताबिक वह इस बार कोटद्वार की जगह किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं थे जबकि लैंसडाउन से पुत्रवधू के लिए टिकट मांग रहे थे.


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पार्टी किसी तरह का दबाब बर्दाश्त नहीं करेगी-मदन कौशिक
आखिरकार हरक की हनक को बीजेपी ने निकाल ही दिया. जहां एक तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरक रावत को कैबिनेट से बर्खास्त किया तो वहीं बीजेपी संगठन ने भी उन्हें 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने साफ तौर पर कहा की पार्टी किसी भी तरह का दबाव बर्दाश्त नहीं करेगी.


बीजेपी ने तोड़ी हरक की हनक
हरक सिंह रावत टिकट के लिए जिस तरह का दबाव बना रहे थे बीजेपी ने उन्हें सीधा संदेश दे डाला है. कहीं ना कहीं हरक सिंह रावत के व्यक्तिगत हित के आगे बीजेपी नहीं झुकी और इसके जरिए बीजेपी ने ऐसे सभी लोगों को भी एक बड़ा संदेश दे दिया जो दबाव की राजनीति की कोशिश में जुटे थे. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत पर चुटकी लेते हुए कहा कि उज्याडू बल्द बस अब किस के खेत खोदते है दिखेगा.


हरक बना रहे थे पार्टी पर दबाव
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी पार्टी में वो आए उन्होंने विकास के मामले में जो कहा हमने किया लेकिन हमारी पार्टी वंशवाद से दूर और विकास के साथ चलने वाली पार्टी है. कई बार उनकी कुछ बातों से हम असहज हुए. धामी ने कहा कि स्थितियां ऐसी हुई कि वो पार्टी पर दबाव बना रहे थे, जिसके बाद पार्टी ने ये निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि अब एक परिवार से एक ही व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा.


दरअसल, बीते कुछ दिनों से बीजेपी में टिकट बंटवारे की कवायद चल रही है. हरक सिंह चाहते थे कि उनकी पुत्रवधू को लैंसडाउन से टिकट मिल जाए.साथ ही स्वयं के लिए वे मनचाही सीट पर दांव खेल रहे थे. इस बीच जब भाजपा में टिकटों को लेकर बैठक का दौर शुरू हुआ तो हरक सिंह को करारा झटका लगा. लैंसडाउन से केवल एक ही नाम पैनल में भेजा गया और वह नाम है वहां के सिटिंग विधायक महंत दिलीप रावत का. मजेदार बात यह है कि दिलीप रावत का नाम पर किसी और ने नहीं बल्कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुहर लगाई. त्रिवेंद्र और हरक सिंह के बीच राजनीतिक अदावत पहले से चली आ रही है. दोनों एक दूसरे के खिलाफ मुखर होकर बयानबाजी करते रहे हैं. इस प्रकरण के बाद यह साफ हो गया था कि हरक सिंह जो चाह रहे हैं वह नही होने वाला.


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