Joshimath crisis: जोशीमठ आपदा को लेकर हर परिवार को 1.5 लाख की अंतरिम सहायता दी जाएगी. बुधवार को मुख्य सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की जहां उन्होंने जोशमठ आपदा को लेकर जानकारी दी. अब तक 723 मकानों में दरार आई हैं.
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Joshimath crisis: जोशीमठ आपदा से प्रभावित परिवारों के मुआवजे (Interim Relief) को लेकर कायम गतिरोध पर उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को बड़ी पहल की. मकानों के दरकने से प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें कहीं और विस्थापित करने के पहले सुनिश्चित मुआवजा दिया जाए. इसको लेकर उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Cabinet Secretary) के कैबिनेट सचिव ने बड़ा ऐलान किया. उन्होंने कहा कि हर परिवार को 1.5 लाख की अंतरिम सहायता दी जाएगी. मूल्यांकन के बाद पूरा मुआवजा मिलेगा. इसके लिए 45 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे. कैबिनेट सचिव ने कहा, पुनर्वास पैकेज को लेकर लोगों के अलग-अलग विचार हैं. सभी के सुझावों पर विचार होगा. अब तक 723 मकानों में दरार आई हैं.
कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने जोशीमठ भूधंसाव को लेकर बैठक की. जहां उन्होंने राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NMC) की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधु से राहत एवं बचाव के लिए चल रहे कार्यों का ब्योरा लिया. उन्होंने प्रभावित जगहों से लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के निर्देश दिए. बता दें, प्रशासन के साथ बैठक का दौर जारी है, जहां अब जोशीमठ भूधंसाव की वजह से प्रभावित हुए 723 परिवारों को को डेढ़ लाख रुपये की अंतरिम सहायता दी जाएगी.
गौरतलब है कि जोशीमठ को लेकर कई टीमें सरकार के निर्देश पर निरीक्षण कर रही हैं. वहीं अब एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) की चार सदस्यीय टीम सर्वेक्षण करने जोशीमठ जाएगी. और वहां जमीन धंसने की वजहों का पता लगाने के साथ-साथ समाधान का विकल्प भी तलाशेगी. टीम का नेतृत्व सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ. क्रांति जैन करेंगे, जबकि उनके साथ ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग के डॉ. आदित्य कुमार अनुपम, जियोटेक्नीक इंजीनियरिंग के डॉ. विकास प्रताप सिंह व डॉ. शशांक बत्रा शामिल हैं.
बता दें, कि अब तक जिला प्रशासन ने 462 परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया है. मंगलवार को 381 लोगों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया गया, वहीं, इससे पहले 81 परिवारों को सुरक्षित जगह पर शिफ्ट किया गया था. प्रशासन ने इसको लेकर विभिन्न संस्थाओं और भवनों के कमरों का अधिग्रहण किया है, जहां इनके रहने की व्यवस्था की गई है.
उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की वजह से हालात बिगड़ रहे हैं. अब तक 7 सौ ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं. बुधवार को इसको लेकर स्थानीय जनता और प्रशासन के बीच मीटिंग भी की जा रही है. बता दें, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के करीब दो साल के अध्ययन में सामने आया है कि जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र हर साल 6.5 सेमी या 2.5 इंच की दर से डूब रहे हैं.
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