हेमकान्त नौटियाल/उत्तरकाशी: उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव के कारण भवनों में आई दरारों से कई भवनों के जमींदोज होने की सूचनाओं से उत्तरकाशी जिले के संवेदनशील गांव के लोगों को डर सता रहा है कि कहीं उनके गांव में भी जोशीमठ जैसे हालात  न हो जाएं. उत्तरकाशी जनपद आपदा के लिहाज से अति संवेदनशील हैं, जनपद में अधिकाश गांव खतरे की जद में हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर ग्राम मस्ताडी के ग्रामीण खासे परेशान और डर हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हमारा गांव धीरे-धीरे नीचे की ओर धंसने लगा है. मकानों में लम्बे समय से बड़ी-2 दरारें आ रही हैं, एक बार रिपेयर भी करते है तो दूसरे साल फिर से दरार उभर कर सामने आ जाती हैं. 


मस्ताडी गांव में वर्ष 1991 में आए भूकंप के बाद भू धंसाव शुरू हो गया था. 1995 और 96 में इस गांव के मकानों के अंदर से पानी निकलना भी शुरू हो गया, जो आज भी जारी है. ग्रामीण अभी तक नहीं समझ पाए हैं कि आखिर ये पानी कहां से निकल रहा है. 


Saving Scheme: पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम से अब 120 महीने में पैसा डबल, ऐसे उठाएं फायदा


 


ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 1991 में जो भूकंप आया था उससे लगभग गांव के सभी मकान ध्वस्त हो गए थे. उस समय प्रशासन ने गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण भी कराया था लेकिन आज 24 साल बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी स्थिति यह है कि गांव धीरे-धीरे धंसता चला जा रहा है। ग्रामीण लंबे समय से विस्थापन की मांग कर रहे हैं, जो आजतक नहीं हो पाया. वहीं जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल बताते हैं, उत्तरकाशी के मस्ताडी गांव का भूगर्भीय सर्वेक्षण दोबारा से कराया जाएगा. उसके बाद ही विस्थापन की कार्रवाई की जा सकेगी. 


Ayushman Card Eligibility: आयुष्मान कार्ड बनवा सकते हैं या नहीं, घर बैठे करें पता


 


बता दें, कि चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव से लोग खासे परेशान हैं. यहां जमीनों में दरारें बढ़ती जा रही हैं. यहां के करीब 25 फीसदी इलाके इस भू धंसाव से प्रभावित बताए जा रहे हैं. इसको लेकर सीएम पुष्कर धामी भी एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. शनिवार को उन्होंने जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र का दौरा भी किया था.साथ ही प्रभावित लोगों के पुनर्वास को लेकर भी निर्देश दिए थे.