सतीश कुमार/काशीपुर: तीने तलाक किसी भी मुस्लिम महिला के जीवन का सबसे बुरा सपना है. लेकिन इस सपने को हकीकत में जीने वाली शबनम ने तीन तलाक पीड़ितों को एक नई उम्मीद दी है. शबनम ने पति के तलाक देने के बाद अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी को एक नई शुरुआत दी है. शबनम की कहानी जान कर हर किसी को अपनी जिंदगी में मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत मिल रही है. 


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तीन तलाक से बदली शबनम की जिंदगी 
उत्तराखंड के काशीपुर में ढकिया गुलाबो अंतर्गत फसीयापुरा गांव की रहने वाली शबनम कि जिंदगी तब बदल गई जब उनके पति ने उन्हें तीन तलाक दे दिया. जानकारी के अनुसार शबनम की शादी 2011 में जसपुर में हुई थी. शुरुआत में सब किच ठीक चल रहा था. शादी से शबनम को दो बेटियां व एक बेटा था, पूरा परिवार खुशी खुशी साथ में रहता था. लेकिन खुशियों को किसी की नजर इस कदर लगी कि पति ने शबनम को 2017 में तीन बार तलाक बोलकर तलाक दे दिया और यहां तक की बच्चों की जिम्मेदारी से भी मुह मोड लिया. इसके बाद शबनम पर मानों पहाड़ टूट पड़ा हो, समस्याओं की बरसात हो रही हो. लेकिन शबनम ने हिम्मत ना हारते हुए जिंदगी की एक नई शुरुआत की और फिलहाल ऑटो चलाकर वे अपना और अपने बच्चों को पाल रहीं हैं.


सिलाई से लेकर घरों में किया काम 
पति के तलाक देने के बाद शबनम के ऊपर मुशीबतों का सैलाब आ गया. शबनम ने हिम्मत ना हारते हुए अपने तीन बच्चों को संभालते हुए किसी तरह घरों में काम करना शुरू किया. इसके बाद धीरे धीरे सिलाई भी सिख ली और इसे आजीविका का साधन बना लिया. अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिल भी करवा दिया और जिंदगी की एक नई शुरुआत की. 


अपनी कमाई से लिया ऑटो 
शबनम ने अपने आप को आत्मनिर्भर बनाने में पहली सीडी जैसे तैसे एक ऑटो लेकर की. शबनम ने इसी बीच अपने पति से कानूनी लड़ाई भी लड़ी और खुद की मेहनत से कमाए हुए पैसों से अपने लिए एक ऑटो बैंक से फाइनैन्स भी कराया. आज काशीपुर की सड़कों पर शबनम का ऑटो दौड़ रहा है और लाखों को मुश्किलों से लड़ने के लिए उम्मीद दे रहा है. 


हौसले ने बदली शबनम की जिंदगी 
शबनम जिस जिंदगी के बारें में कभी सोच भी नहीं सकती थी, वो जिंदगी आज शबनम जी रही हैं. शबनम का जीवन के मुश्किल समय में हिम्मत ना हारना, हौसला बनाए रखना. इन्ही से शबनम ने अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी बदली है. आज शबनम लाखों, करोड़ों लोगों के लिए मिसाल है. 


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