Uttarakhand Vidhansabha Bharti Ghotala : उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर लीक मामले और विधानसभा भर्ती घोटाले केस में सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार कांग्रेस के निशाने पर आ गई है. विधानसभा में अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने के मामले पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने दो टूक शब्दों में साफ कह दिया है कि वह भी सन् 2002 से 2007 तक विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं. लिहाजा क्यों ना जांच सन् 2002 से 2022 तक की जाए? इससे तस्वीर साफ हो जाएगी कि किसकी सरकार में घोटाला शुरू हुआ है. 2002 से साल 2022 तक हर कार्यकाल की जांच हो, यह सुझाव यशपाल आर्य ने दिया है. 


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बीजेपी के 75% रिश्तेदारों को मिली नौकरी: करण माहरा
इतना ही नहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का आरोप है कि विधानसभा भर्ती मामले में बीजेपी के 75 प्रतिशत रिश्तेदारों ने नौकरी पाई है. कांग्रेस जल्द ही 200 लोगों की लिस्ट जारी करेगी, जिनकी नौकरी बीजेपी के शासनकाल में विधानसभा में लगी है. 


निष्पक्ष जांच के लिए किया जाए काम
करण माहरा का कहना है कि जितने भी प्रपत्र हैं, चाहे विधानसभा हो, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग हो या फिर सचिवालय हो... सारे प्रपत्र हाई कोर्ट के सीटिंग जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी को सुपुर्द किए जाएं. वहीं, अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का मामला दो राज्यों से जुड़ गया है. ऐसे में एसटीएफ के काम करने की भी कुछ सीमाएं होती हैं, इसलिए अब सीबीआई को इंटरप्ट करना चाहिए.


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"सीबीआई जांच से परहेज क्यों": कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष
करण माहरा का कहना है कि बंगाल में शिक्षक भर्ती का एक घोटाला आया था, तो सरकार ने सीबीआई की जांच बैठा दी. लेकिन, उत्तराखंड में इतना बड़ा मामला सामने आया, अभी तक सीबीआई की बात नहीं आई. 


सुप्रीम कोर्ट के संरक्षण में सीबीआई जांच की मांग
वहीं, UKSSSC पेपर लीक घोटाले को लेकर यशपाल आर्य ने कहा कि पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के संरक्षण में सीबीआई के जरिए होनी चाहिए. उनका कहना है कि क्योंकि एसआईटी कभी ना कभी सरकार के दबाव में काम कर सकती है, जिससे जांच में फर्क पड़ सकता है. लेकिन, सीबीआई निष्पक्ष जांच करेगी.


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विधानसभा भर्ती मामले में जांच की जिम्मादीर ऋतु खंडूडी की
जानकारी के लिए बता दें उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाले की जांच का जिम्मा ऋतु खंडूडी को दिया गया है. अब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी पर सभी निगाहें टिकी हैं. 


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