Uttarkashi: जर्मन गर्ल स्टीना को भाया भारत, सात समंदर पार आकर हिन्दुस्तानी छोरे से रचा ली शादी
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Uttarkashi: जर्मन गर्ल स्टीना को भाया भारत, सात समंदर पार आकर हिन्दुस्तानी छोरे से रचा ली शादी

Uttarkashi News: जर्मनी की स्टीना को भारतीय संस्कृति इतनी अच्छी लगी कि जर्मनी की स्टीना ने यहीं जीने मरने का फैसला कर लिया. काशी विश्वनाथ मंदिर में जर्मनी की 21 वर्षीय स्टीना और संदीप सेमवाल भारतीय रीति रिवाज से सात फेरे लिए. 

 

Uttarkashi: जर्मन गर्ल स्टीना को भाया भारत, सात समंदर पार आकर हिन्दुस्तानी छोरे से रचा ली शादी

हेमकान्त नौटियाल/उत्तरकाशी: विदेशी लोग भी भारतीय संस्कृति से प्रेरित होकर सनातन संस्कृति को अपना रहे हैं. ऐसा ही एक मामला सीमांत जनपद उत्तरकाशी में देखने को मिला. जहां 21 वर्षीय जर्मनी की स्टीना को भारतीय संस्कृति इतनी अच्छी लगी कि जर्मनी की स्टीना ने यहीं जीने मरने का फैसला कर लिया. उत्तरकाशी के विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में जर्मनी की 21 वर्षीय स्टीना और संदीप सेमवाल भारतीय रीति रिवाज एवं वैदिक मंत्र उच्चारण और सात फेरे लेकर दोनों विवाह के बन्धन में बंध गए. 

2018 में योग सीखने आई थीं ऋषिकेश
दरअसल स्टीना 2018 मे योगनगरी ऋषिकेश के एक आश्रम मे योग सीखने के लिए आई थी. दो साल तक उन्होंने भारतीय संस्कृति का खूब अध्ययन किया और पाया कि यहां के कण-कण मे भगवान का वास है, क्यों न यहीं पर साधना की जाए. यह बात उन्होंने आश्रम के संचालक एवं अपने गुरू को बताई. उन्होंने उन्हें यहां विवाह करने के लिए प्रेरित किया और संदीप सेमवाल से विवाह करने को कहा. 

स्टीना से बनी रोविता 
लेकिन उसके बाद स्टीना जर्मनी चली गई और अपने माता-पिता को उत्तराखंड विवाह करने के लिए राजी करवा लिया. आज अपने परिवार के साथ उत्तरकाशी पहुंचकर काशी विश्वनाथ मन्दिर मे वैदिक परंपरा के अनुसार संदीप सेमवाल एवं स्टीना का विवाह सम्पन्न हुआ और अब स्टीना का हिन्दू नाम रोविता रखा गया. उत्तरकाशी के समाज सेवियों ने रोविता का कन्यादान कर उसे उत्तराखंड की बेटी एवं आदर्श बहू के रूप मे सुखमय जीवन का आशीर्वाद दिया. 

स्टीना ने बताया कि वह यहां की संस्कृति का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं, इसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती हैं. दूल्हे के रिश्तेदार ने बताया कि हमारे लिए यह बेहद खुशी की बात है कि कोई विदेशी भारतीय संस्कृति को अपना रहा है. दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज के साथ उत्तरकाशी के विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में सात फेरे लिए हैं. 

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