देहरादून: अगर हम कुछ ठान लें, तो सब कुछ संभव है. ऐसा ही कुछ करके रेखा पांडे ने समाज के सामने एक मिशाल पेश की है. उनका कहना है कि कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता, बल्कि सोच छोटी और बड़ी होती है. दरअसल, रेखा पांडे अल्मोड़ा जिले के ताड़ीखेत की रहने वाली हैं. वह टैक्सी चलाने का काम पिछले एक महीने से कर रही हैं. आपको बता दें कि रानीखेत से हल्द्वानी तकरीबन 90 किमी की डेली सर्विस देती है. वहीं, दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई जैसे महानगरों में ये आम बात हो सकती है, लेकिन उत्तराखण्ड जैसे छोटे और पहाड़ी राज्य के लिए ये वाकई बड़ी मिशाल है. आइए आपको बताते हैं रेखा की कहानी.


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पति की खराब सेहत की वजह से रेखा ने पकड़ा टैक्सी का स्टेयरिंग 
आपको बता दें कि रेखा हर सुबह आठ बजे रानीखेत और फिर दिन में हल्द्वानी की सड़को पर टैक्सी के लिए सवारी ढूंढती हैं. इन सबके बीच कभी तेज धूप, तो कभी तेज बारिस के बीच टैक्सी चलाना पड़ता है. दरअसल, रेखा आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं, लेकिन उनके पति के खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने टैक्सी का स्टेयरिंग पकड़ा है. यही नहीं इसके साथ-साथ वह घर का पूरा कामकाज और बीमार पति की सेवा भी करती हैं. चेहरे पर प्यारी सी मुस्करन लिए रेखा सबकुछ कर कर लेती हैं. ऐसे में रेखा का ये कदम स्वरोजगार की तरफ महिलाओं के लिए एक मिशाल है.


एलएलबी और नेट की भी कर रही हैं तैयारी 
जानकारी के मुताबिक रेखा के पास अपनी टैक्सी है, जिसे वो खुद चलाती हैं. दरअसल, रेखा ने बताया कि उनके पति की तबियत खराब होने के बाद, उन्होंने टैक्सी का काम खुद संभाला. इसके बाद सब कुछ आसान होता चला जा रहा है. अगर रेखा के पढ़ाई की बात करें, तो आप जानकर चौंक जाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि रेखा ने डबल एमए किया है. काम के साथ ही रेखा एलएलबी और नेट की भी तैयारी कर रही हैं.


आपको बता दें कि रेखा महिलाओं के लिए मिशाल बनकर उभरी हैं. उनका कहना है कि काम कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता है. महिलाओं को अब चूल्हे-चौके तक सीमित होने के जरूरत नहीं है, बल्कि घर से बाहर निकलने की जरूरत है. इससे वह आत्मनिर्भर बन सकें. महिला सशक्तिकरण में अपना बेहतर योगदान दे सकें.


तीन बेटियों की मां हैं रेखा
दरअसल, पुरुष प्रधान समाज में आज भी महिलाओं को वो सम्मान नहीं दिया जाता है, जिस सम्मान की वो हकदार हैं, जिससे महिलाएं आज भी सिर्फ और सिर्फ घर की चारदीवारी को लांघने के लिए सौ बार सोचती हैं, लेकिन तीन बेटियों की मां होने के बावजूद रेखा महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं.