काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला, ASI जांच को मंजूरी
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काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला, ASI जांच को मंजूरी

 काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने पुरातात्विक सर्वे कराए जाने पर फैसला सुनाया

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट का बड़ा फैसला, ASI जांच को मंजूरी

वाराणसी: सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने विश्वनाथ मंदिर का पुरातात्विक सर्वे कराए जाने को लेकर फैसला सुनाया है. कोर्ट ने यह फैसला काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष के लोगों में सुनाया है. कोर्ट ने केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर, पूरे परिसर का रिसर्च कराने को लेकर फैसला दिया. सुनवाई की अगली तारीख 31 मई तय की गई है.

राज्य सरकार उठाएगी खर्चा

ये मामला वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही सर्वे का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी. पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले पर वादी मंदिर पक्ष के प्रार्थना पत्र पर सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में 2 अप्रैल को फैसला सुरक्षित कर लिया गया था. बता दें कि इस मामले में मंदिर पक्ष के पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने 10 दिसंबर 2019 को कोर्ट में याचिका दायर की थी. 

फैसले पर जताई खुशी
आचार्य सत्येंद्र दास महाराज जी ने वाराणसी कोर्ट के फैसले को बहुत ही अच्छा बताते हुई खुशी जताई. उन्होंने कहा कि ये निश्चित है कि इसमें उतना समय नही लगेगा जितना श्री रामजन्मभूमि में लगा है. जल्दी से जल्दी फैसला होगा क्योंकि वहां की सारी सत्यता वास्तविकता है और वो स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है. इसलिए वहां पर बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से भगवन शिव के पक्ष में जल्दी से जल्दी निर्णय हो जाएगा.

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हिन्दू और मुसलमानों का सौहार्द बना रहे-इकबाल अंसारी
इस बाबत पूर्व पक्षकार बाबरी मस्जिद अयोध्या, मोहम्मद इक़बाल अंसारी ने कहा कि ये मुकदमा बहुत दिनों से चल रहा है और हम चाहते हैं कि कोर्ट ने जो भी नियम कानून हैं वह हमारे हिंदुस्तान की बेहतरी के लिए है. हम यह चाहते हैं कि यह मसला तय हो जाए. हिन्दू और मुसलमानों का सौहार्द बना रहे. उन्होंने कहा कि लोग अच्छा काम करें और जो भी काम हो देश के विकास के लिए होना चाहिए. आजकल कोरोना की वजह से हालात बिगड़े हुए हैं, हम चाहते हैं कि हालात जल्दी से सुधर जाएं. उम्मीद है कि वारणसी के फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं  उसके बेहतर परिणाम सामने आएं.

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क्या है विवाद?
कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था और ये निर्माण मंदिर तोड़कर किया गया था. इसी को लेकर पूरा विवाद है. 1991 में ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वनाथ के पक्षकार पंडित सोमनाथ ने मुकदमा दायर करते हुए कहा था कि मस्जिद, विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और यहां हिंदुओं को दर्शन, पूजापाठ के साथ ही मरम्मत का भी अधिकार होना चाहिए. 

1991 में पहली बार दायर की गई थी याचिका
इसके बाद साल 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर ASI सर्वेक्षण के खिलाफ प्रतिवाद दाखिल किया था. सबसे पहले साल 1991 में स्वयंभु ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा की अनुमति के लिए याचिका दायर की गई थी.

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