अब छेड़खानी करने वालों की खैर नहीं, `हैंड ग्रेनेड` करेगा मनचलों का इलाज
दिखने में बिलकुल हैंड ग्रेनेड जैसी दिखने वाली ये डिवाइस छेड़खानी करने वाले शोहदों की अक्ल ठिकाने लगाएगी. फाइबर प्लास्टिक से बने इस विमेंस सेफ्टी ग्रेनेड को वायरलेस डिस्टेंस सेंसर की टेक्नॉलजी से बनाया गया है. मुसीबत में फंसने पर बस इस ग्रेनेड से पिन को निकाल कर फेंक देना है.
वाराणसी: देश में बढ़ती महिलाओं के साथ छेड़खानी और बलात्कार जैसी घटनाओं को देखते हुए वाराणसी के युवा वैज्ञानिक श्याम चौरसिया की देख-रेख में एक हैंड ग्रेनेड का निर्माण किया गया है. दिल्ली की रहने वाली रचना राजेंद्रन ने ये हैंडग्रेनेड बनाया है, जो महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से बिल्कुल सटीक है. रचना राजेंद्रन खुद 7 ब्लैक बेल्ट हैं और महिलाओं की आत्मरक्षा की दिशा में काम कर रही हैं. अब उनका बनाया हुआ हैंड ग्रेनेड महिलाओं को सुरक्षा देगा.
शोहदों को सबक सिखाएगा हैंड ग्रेनेड
दिखने में बिलकुल हैंड ग्रेनेड जैसी दिखने वाली ये डिवाइस छेड़खानी करने वाले शोहदों की अक्ल ठिकाने लगाएगी. फाइबर प्लास्टिक से बने इस विमेंस सेफ्टी ग्रेनेड को वायरलेस डिस्टेंस सेंसर की टेक्नॉलजी से बनाया गया है. मुसीबत में फंसने पर बस इस ग्रेनेड से पिन को निकाल कर फेंक देना है. पिन फेंकते ही लोकेशन के साथ-साथ पुलिस और परिवार को कॉल भी चली जाएगी. बिना मोबाइल फोन के ही 112 और परिवार के सदस्यों को हैंड ग्रेनेड से पिन फेंकते ही कॉल चली जाती है.
गन भी बन जाता है ग्रेनेड
यही नहीं अगर परिस्थिति ज्यादा गंभीर है और लड़की की जान को खतरा है तो इस ग्रेनेड को गन बना कर फायर भी किया जा सकता है. फायर की आवाज इतनी तेज होती है कि समय रहते पब्लिक का ध्यान उस तरफ चला जाता है और युवती पर मंडरा रहा खतरा टल जाता है.
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पूरी तरह स्वदेशी है डिवाइस
ये डिवाइज पूरी तरह से स्वदेशी है. इसमें किसी भी तरह के चाइनीज पार्ट्स यूज नहीं किये गये हैं. रचना अपने विमेंस सेफ्टी डिवाइज को मेक इन इंडिया के तहत बाजार में लाना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने पीएमओ को चिठ्ठी भी लिखी है. इस डिवाइस को बनाने में 4 महीने का वक्त लगा है और खर्च महज 650 रुपये आया है.
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