Prayagraj News: जहरीली शराब मामले में सलाखों के पीछे ही रहेंगे सपा विधायक रमाकांत यादव, हाईकोर्ट से मिला झटका
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Prayagraj News: जहरीली शराब मामले में सलाखों के पीछे ही रहेंगे सपा विधायक रमाकांत यादव, हाईकोर्ट से मिला झटका

Prayagraj News: सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जोर का झटका लगा है. जहरीली शराब से मौत मामले में हाईकोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया.

SP MLA Ramakant Yadav

मोहम्मद गुफरान / प्रयागराज: आजमगढ़ के फूलपुर पवई से समाजवादी पार्टी के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. जहरीली शराब से हुई मौत मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव को जमानत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अपराध बेहद गंभीर प्रवृति का है. ऐसे में याची को जमानत नहीं दिया जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने निचली अदालत को मामले का ट्रायल 6 महीने में पूरा करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर 6 महीने के भीतर ट्रायल पूरा नहीं होता है तो याची की तरफ से हाईकोर्ट का रुख किया जा सकता है.

शराब की दुकान का लाइसेंस
बता दें की आजमगढ़ के अहरौला इलाके में फरवरी 2022 में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हुई थी. इस दौरान कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई थी. मामले में पुलिस की तरफ से मुकदमा दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू की गई तो पता चला की जिस दुकान से मृतकों ने शराब खरीदी थी उसके असल मालिक समाजवादी पार्टी के विधायक रमाकांत यादव हैं.उन्होंने अपने करीबी रिश्तेदार रंगेश यादव के नाम से शराब की दुकान का लाइसेंस लिया था. पुलिस ने सितंबर 2022 में रमाकांत यादव को आरोपी बनाते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।

पांच बार के विधायक 
फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में बंद सपा के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत की गुहार लगाई थी. रमाकांत यादव की तरफ से कहा गया कि वह राजनीतिक व्यक्ति हैं, चार बार के सांसद और पांच बार के विधायक रहे हैं.  कुछ समय पहले तक वह भारतीय जनता पार्टी में थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन कर लिया. मौजूदा समय में वह आजमगढ़ के फूलपुर पवई से सपा के विधायक हैं, इसी के चलते उनसे राजनीतिक रंजिश रखने वाले लोगों ने उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाया है. जहरीली शराब से हुई मौत मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है. 

बेहद गंभीर प्रवृति का है मामला 
पहली बार दर्ज हुई एफआईआर में भी उनका नाम नहीं था, विवेचन के आधार पर उनके नाम को जोड़ा गया है. हालांकि कोर्ट में मौजूद सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि याची का लंबा आपराधिक इतिहास है. मौजूदा मामला बेहद गंभीर प्रवृति का है. जहरीली शराब से कई लोगों की जान गई है. आरोपी के खिलाफ चार्जशीट में जो साक्ष्य दिए गए हैं वह बेहद गंभीर हैं. ऐसे में जमानत पर रिहा करना न्यायोचित नहीं होगा. कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद याची को जमानत देने से इनकार कर दिया है.

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