बहराइच का वो राजा जो बना संन्यासी, 115 साल पहले बनारस में रखी यूपी कॉलेज की नींव, जहां मजार पर मचा बवाल
Uday Pratap College Banaras: वाराणसी के यूपी कॉलेज में हाल ही में तब बवाल मच गया जब छात्रों ने कॉलेज परिसर में बनी मस्जिद पर हनुमान चालीसा पढ़ने का प्रयास किया लेकिन फिर जो हुआ और विवाद का जो सच सामने आया उसे जानकर सब हैरान रह गए.
Varanasi College Masjid Uproar, वाराणसी: वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में हाल ही काफी सुर्खियों में रहा. यहां तब बड़ा बवाल खड़ा हो गया जब छात्रों ने कॉलेज परिसर की मस्जिद पर हनुमान चालीसा पढ़ने का प्रयास किया. हालात ऐसा हो गए कि कुछ छात्रों को पुलिस द्वारा हिरासत ले लिए गए. पूरा विवाद क्या है और कहां से इसकी शुरुआत हुई, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं. लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि सौ साल से ज्यादा पुराने इस कॉलेज की नींव कैसे पड़ी.
कॉलेज की नींव किसने रखी
वाराणसी के जाने माने उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना साल 1909 में एक हाई स्कूल के रूप में की गई थी. इसकी स्थापना भिनगा (जिला-बहराइच, उत्तर प्रदेश) के राजा राजर्षि उदय प्रताप सिंह जू देव ने की थी जो वेसे तो राजा थे लेकिन समाज की उत्थान के लिए एक सन्यासी बन गए. राजा राजर्षि उदय प्रताप सिंह 03 सितंबर, 1850 को जन्में और 1913 में उनका निधन हुआ.
कहां से शुरू हुआ विवाद
अब आते हैं विवाद पर जो सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के पत्र से शुरू हुआ. दरअसल, इस पत्र के जरिए कॉलेज से इस मजार के बारे में बोर्ड द्वारा जानकारी मांगी गई थी वो बात और है कि वक्फ बोर्ड ने अपना दावा कॉलेज की संपत्ति से छोड़ दिया है. कॉलेज परिसर में बनाई गई मस्जिद को लेकर वक्फ बोर्ड ने साल 2018 में एक पत्र लिखा जिसके बारे में जानकारी मांगी थी. वैसे साल 2021 में इस बारे में निस्तारण भी कर दिया गया.
जमीन के स्वामित्व का दावा
सवाल ये है कि वक्फ ने जब कॉलेज की इस प्रॉपर्टी पर अपना दावा छोड़ा था तब हाल के समय में इसे लेकर क्यों विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, साल 2018 का बोर्ड का परिसर की जमीन के स्वामित्व का दावा पत्र सामने आया वो भी ऐन यूपी कॉलेज के 115वें स्थापना दिवस पर यानी पर बीते 25 नवंबर को. सामने पत्र में कहा गया कि कॉलेज के नियंत्रण में ग्राम छोटी मस्जिद नवाब टोक मजारात हुजरा भाजूबीर की संपत्ति है, इसको सुन्नी बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत करवाया जाए.
कॉलेज परिसर पर ट्रस्ट का अधिकार
इस पत्र का जवाब उदय प्रताप शिक्षा समिति के तत्कालीन सचिव यूएन सिन्हा ने दिया जिसमें कहा गया कि वर्ष 1909 में यूपी कॉलेज की स्थापना की गई जिसकी जमीन इंडाउमेंट ट्रस्ट की है. चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के तहत आधार वर्ष के बाद ट्रस्ट की जमीन पर किसी और का मालिकाना हक अपने आप खत्म होता है. ऐसे में मस्जिद या मजार इनका अस्तित्व नहीं होगा. वहीं दूसरी ओर उदय प्रताप कॉलेज के प्रिंसिपल से मिली जानकारी से पता चलता है कि कुछ साल पहले यहां पर मजार हुआ थी जो मस्जिद बन गई थी. ध्यान देने वाली बात है कि मस्जिद का नाम खसरा और खतौनी में नहीं है. कॉलेज की अपनी प्रॉपर्टी ट्रस्ट की है. साल 2018 में ही मामला निरस्त हो चुका है.
वायरल पत्र पर विवाद
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ के बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी के मुताबिक जब इस बारे में यूपी कॉलेज से पत्र भेजकर जानकारी ली गई तो पता चला कि वह मस्जिद कॉलेज परिसर में है व कॉलेज की प्रॉपर्टी है जिसे नहीं दर्ज नहीं किया जा सकता है. ऐसे में हमने मांगी जाने वाली जानकारी खारीज की और एक पत्र भी जारी किया. चेयरमैन के मुताबिक, अचानक पुराना पत्र वायरल किया जा रहा है.अब जब यह विवाद हुआ था तो नया पत्र भी जारी कर हमने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का इससे कोई नाता नहीं है न तो सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ऐसा दावा किया है.
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