डाक्टर ने महिला कर्मचारी को बेड रेस्ट की सलाह दी तो केन्द्रीय कर्मचारियों की सेवा शर्तो के मुताबिक उन्हें अपने रिपोर्टिंग आफिसर से सिक मेमो यानि फार्म नम्बर जी-92 लेने की आवश्यक्ता आन पड़ी.
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कानपुरः ऑफिस के सीनियर्स द्वारा अपने जूनियर्स के साथ किया गया बर्ताव कभी कभी कितना अफसोसजनक होता है इसका नजारा कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर भी देखने को मिला. यहां के एक अफसर ने अपनी जूनियर महिला कर्मचारी को बीमारी के अवकाश फॉर्म भरने के लिये अस्पताल के बिस्तर से तलब कर लिया और उस बीमार महिला को अपनी नौकरी बचाने की खातिर कलाई में वीगो लगाये और हथेली पर ग्लूकोज की बोतल थामे आफिस आना पड़ा.
दरअसल, कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन के टिकट रिजर्वेशन काउंटर तैनात क्लर्क सुष्मिता दास की तबियत दो दिन पहले खराब हुई थी. जिस कारण वह रेलवे के लोको अस्पताल में भर्ती थी. डाक्टर ने उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दी तो केन्द्रीय कर्मचारियों की सेवा शर्तो के मुताबिक उन्हें अपने रिपोर्टिंग आफिसर से सिक मेमो यानि फार्म नम्बर जी-92 लेने की आवश्यक्ता आन पड़ी.
बीमार सुष्मिता ने अपने दो सहकर्मियों को चीफ रिजर्वेशन सुपरवाईजर भवानी प्रसाद के पास से जी-92 फार्म लाने के लिये भेज दिया. सुष्मिता का आरोप है कि उनके सहकर्मियों को फार्म नहीं दिया गया और चीफ रिजर्वेशन सुपरवाईजर ने कहलवाया कि सिक मेमो लेने के लिये बीमार कर्मचारी को खुद आना होगा.
स्टाफ की तमाम मान मनौव्वल के बाद भी जब सुपरवाईजर नहीं माने तो सुष्मिता हाथ में लगा वीगो और मुट्ठी में ग्लूकोज की बोतल पकड़कर अधिकारी के सामने आई और सिक मेमो के लिए आवेदन किया.
इस मामले में चीफ रिजर्वेशन सुपरवाईजर भवानी प्रसाद ने मीडिया के सामने सफाई देते हुए कहा कि जी-92 फार्म ताले में बन्द थे और चाबी डिप्टी सीटीएम के पास थी, इससे उसे तत्काल जारी नहीं किया जा सका था.