नई दिल्ली: देश के उत्‍तरी हिस्‍से में इस वक्त भी कड़ाके की ठंड जारी है. पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी (Snowfall) के कारण तापमान में गिरावट नजर आ रही है. पिछले दो दिन तापमान में गिरावट के बाद अब मौसम फिर से बदलता हुआ लग रहा है. आज सुबह नोएडा-ग्रेटर नोएडा में घना कोहरा छाया रहा. मौसम विभाग की मानें तो 22 से 24 जनवरी के बीच देश के उत्तर पश्चिमी राज्यों में बादलों का डेरा रहेगा. कुछ जगहों पर बारिश की संभावना है. 


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कड़ाके की ठंड के साथ नए साल का आगाज, कोहरे की चादर में लिपटा दिल्ली-NCR


फिर से कड़ाके की सर्दी का एहसास होगा.


मौसमी उतार-चढ़ाव की वजह से दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों दिन में राहत और सुबह- शाम ठिठुरन है. शुक्रवार से सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ की वजह से एक बार फिर न्यूनतम तापमान में कमी के साथ दिन के तापमान में भी कमी आ सकती है और फिर से कड़ाके की सर्दी का एहसास होगा. मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में आने वाले दो-तीन दिनों तक राहत के बाद ठंड में फिर बढ़ सकती है. बताया जा रहा है कि प्रदेश में एक-दो दिन बाद तापमान में कुछ बढ़ोत्तरी होगी, लेकिन उसके बाद इसमें गिरावट आएगी. 


इस हफ्ते ठिठुरन रहने की संभावना


पहाड़ों से आने वाली ठंडी हवा के कारण तापमान में गिरावट के साथ गलन बढ़ेगी और ठिठुरन भरी सर्दी महसूस की जाएगी. ऐसी सर्दी अगले पूरे हफ्ते तक रहने की संभावना है. मौसम केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य के पश्चिमी हिस्सों के कुछ इलाकों में घना कोहरा रहा. 


 22 से 24 जनवरी के बीच तेज गरज के साथ बारिश 


IMD के मुताबिक हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड के कुछ इलाकों में 22 से 24 जनवरी के बीच तेज गरज के साथ बारिश पड़ सकती है. 23 जनवरी को दिल्‍ली, पंजाब और चंडीगढ़ में बारिश होने का अनुमान है.


दिन में धूप शाम को ठिठुरन


मौसम विभाग के अनुसार, बृहस्पतिवार को राजधानी का न्यूनतम तापमान सामान्य के बराबर 7.4 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान सामान्य से एक अधिक 22.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. अधिकतम तापमान में वृद्धि होने से दिन भर खिली धूप के बीच लोगों को सर्दी से राहत मिली. हालांकि, शाम होते- होते गलन वाली सर्दी का एहसास होने लगा था. 


कश्‍मीर में हिमपात
IMD के अनुसार कश्मीर घाटी और लद्दाख में 22 जनवरी से फिर हिमपात होने के आसार हैं. बुधवार को न्यूनतम तापमान जीरो से कई डिग्री नीचे चला गया है.


कैसे बनता है कोहरा


धरती के ऊपर धुएं जैसा आवरण छा जाता है इसे कोहरा [फॉग] कहते हैं. इसकी वजह से न केवल राहगीरों को बल्कि ट्रेन ड्राइवरों और Airplans के पायलटों तक को रास्ता ठीक से नहीं दिखाई देता. कभी-कभी तो कोहरा इतना घना होता है कि हमें ड्राइंग रूम से मकान का मेन गेट तक नहीं दिखाई देता. 


हमारे चारों ओर उपस्थित हवा में जलवाष्प [वॉटर वेपर] होती है, जिसे हम नमी कहते हैं. सर्दियों  में पृथ्वी की सतह के पास की गर्म हवा में मौजूद जलवाष्प ऊपर मौजूद ठण्डी हवा की परतों से मिल कर जम जाती है. इस प्रक्रिया को सघनन [कंडेन्शेशन] कहा जाता है. जब हवा में बहुत ज्यादा कंडेन्शेशन हो जाता है तो ये भारी होकर पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों में बदलने लगती है. आसपास की अधिक ठडी हवा के सपर्क में आने पर इसका स्वरूप धुएं के बादल जैसा बन जाता है. इसी को मौसम वैज्ञानिक कोहरा बनना कहते है. औद्योगिक क्षेत्रों में कोहरा ज्यादा घना हो जाता है और इसे 'स्मॉग' कहते हैं. स्मॉग स्मोक और फॉग से मिलकर बना शब्द है.


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