लखनऊ: उत्तर प्रदेश के स्कूलों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति को लेकर सरकार सख्त हो चुकी है और इस बाबत जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी कर रही है. 45 प्रतिशत से भी कम हाजिरी पर प्रयागराज के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई है. अधिकारी के द्वारा जिले के 470 परिषदीय प्राथमिक के साथ ही उच्च प्राथमिक और संविलियन विद्यालयों के कई लोगों पर कार्रवाई की गई है. इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, प्रभारी प्रधानाध्यापकों व शिक्षकों, अनुदेशकों के साथ ही शिक्षामित्रों का अगले आदेश तक के लिए अक्टूबर महीने का वेतन रोका गया है. जिन स्कूलों में 45 प्रतिशत से भी कम बच्चों ने एक से 30 सितंबर तक मिड-डे-मील लिया उसी के आधार पर यह एक्शन लिया गया है. 

 

उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश 

इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ ही इंचार्ज प्रधानाध्यापकों से बीएसए ने छात्र उपस्थिति को बढ़ाए जाने व न्यून उपस्थिति को लेकर लिए जा रहे एक्शन पर तत्काल रिपोर्ट देने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं. इस संबंध में खंड शिक्षाधिकारियों को भी एक नोटिस जारी किया गया है और एक सप्ताह की समय सीमा में उनके स्तर से की जा रही कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है. इसी के साथ साथ 45 प्रतिशत से कम छात्र-छात्राओं की हाजिरी वाले 1184 विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापकों को  एक से छह अक्टूबर तक नोटिस जारी की गई है जिसमें उपस्थिति बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. 

 

25 प्रतिशत से भी कम बच्चे

आईवीआरएस प्रणाली पर मिड जे मील लेने वाले बच्चों की दिखाई गई संख्या की जांच में जुटाई गई जानकारी के मुताबिक कई विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति प्रतिशत 25 से भी कम है और पूरे सितंबर में मऊआइमा के प्राथमिक विद्यालय खंगरा में 1.8, तो वहीं मांडा के प्राथमिक विद्यालय खुरमा में इन बच्चों की संख्या केवल 4 है. मिड-डे-मील पाने वाले बच्चों की संख्या के बारे में अन्य स्कूलों की बात करें तो उच्च प्राथमिक विद्यालय करेली में 11.5 बच्चों ने, बहरिया के उच्च प्राथमिक विद्यालय दौलतपुर में केवल 12.1 तो वहीं 1 मेजा के उच्च प्राथमिक विद्यालय और 12.2 बच्चों ने पिपरांव में  मध्यातर में भोजन ग्रहण लिया. 

 

विभागीय कार्यवाही

उपस्थिति पर भारत सरकार के साथ ही राज्य परियोजना कार्यालय व मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण के अधिकारियों ने इस तरह के रवैये पर अप्रसन्नता दिखाई है और दोषी के विरुद्ध कार्यवाही के निर्देश दिए है. इसके साथ ही कहा गया है कि संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिला तो शिक्षकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी. दोषियों पर सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1998 के अंतर्गत विभागीय कार्यवाही की जाएगी.


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