नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देने वाले जेएनयू छात्र शरजील इमाम के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने यह हलफनामा शरजील इमाम पर दर्ज एफआईआर की जांच एक ही एजेंसी से कराने की याचिका के जवाब में दाखिल किया है.


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अपने हलफनामे में योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा कि शरजील इमाम के खिलाफ यूपी पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को दिल्ली, मणिपुर, असम या अरुणाचल प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. योगी सरकार ने कहा कि यूपी पुलिस द्वारा शरजील पर दर्ज एफआईआर अलग है.


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उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में कहा, 'शरजील इमाम ने 16 जनवरी 2020 को एएमयू में जो भाषण दिया था उसकी वजह से सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ा. अगले दो महीने तक राज्य में बड़े पैमाने पर आगजनी, पथराव और पुलिस पर गोलीबारी हुई.'?अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान शरजील के भड़काऊ भाषण का स्थानीय प्रभाव हुआ'


राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 16 जनवरी 2020 को एएमयू में दिए गए शरजील इमाम के भडकाऊ भाषण के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल होने के बाद, अलीगढ़ जिले में बड़े पैमाने पर पथराव, आगजनी और गोलीबारी की घटनाएं हुई थीं. 23 जनवरी 2020 को, एएमयू छात्रों सहित लगभग 150-200 प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम की और आपत्तिजनक नारे लगाए'


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अपने हलफनामे में यूपी सरकार ने आगे कहा, '31 जनवरी 2020 को, एएमयू के छात्रों सहित 500 से अधिक व्यक्तियों ने इकट्ठा होकर सीएए प्रदर्शन के लिए भयावह स्थिति पैदा कर दी. 23 फरवरी को, 500-600 से अधिक अज्ञात व्यक्तियों ने पथराव किया. मंदिरों में दान पेटी लूटी गई. मंदिर के पुजारियों के साथ हाथापाई की गई, जिससे तनाव और बढ़ गया. 23 फरवरी 2020 को फिर से, एक पूर्व-योजनाबद्ध तरीके से एक हजार से अधिक व्यक्तियों ने कोतवाली उपकोट में जबरन प्रवेश किया और अवैध हथियारों से गोलीबारी करके दंगे की स्थिति पैदा कर दी'


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