चारधाम यात्रा को लेकर संशय: सरकार ने दी स्थानीय लोगों को अनुमति, तीर्थ पुरोहित कर रहे विरोध
गंगोत्री मंदिर समिति के सदस्य राजेश सेमवाल ने कहा कि ऐसे वक्त में जब कोरोना फैल रहा है, हम चारधाम यात्रा खोलने के पक्ष में नहीं हैं.
चमोली: उत्तराखंड में कोरोना से बढ़ते संक्रमण के बीच सरकार ने स्थानीय लोगों के लिए चारधाम यात्रा खोल दी है. लेकिन तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज की ओर से सरकार के इस फैसले का विरोध जारी है. ऐसे में चारधाम यात्रा को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.
दरअसल, श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा खोलने को लेकर चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के जिलाधिकारियों की देवस्थानम बोर्ड के पदाधिकारियों और तीर्थ पुरोहितों के साथ बैठक हुई. जिसके बाद देवस्थानम बोर्ड के CEO ने आदेश जारी कर दिए कि स्थानीय लोगों के लिए गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बदरीनाथ की यात्रा खोल दी गई है. वहीं, दूसरे राज्यों के लोगों को चारधाम यात्रा के लिए 30 जून तक का इंतजार करना होगा.
आदेश में कहा गया है कि स्थानीय लोग शर्तों के साथ सुबह 7 से शाम 7 बजे तक चारधाम में दर्शन कर सकते हैं. चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को केंद्र की गाइडलाइन को मानना ही होगा. वहीं, भक्तों को मंदिर के अधिकृत व्यक्ति से टोकन लेना अनिवार्य है और टोकन दिखाकर ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति होगी. बदरीनाथ धाम में 1 दिन में 1200 लोग दर्शन कर सकते हैं. वहीं, केदारनाथ में 800, गंगोत्री में 600 श्रद्धालु और यमुनोत्री धाम के दर्शन रोजाना 400 लोग कर सकते हैं. ये व्यवस्था 30 जून तक लागू रहेगी. इसके अलावा धामों में होटल, लॉज और धर्मशाला से सम्बन्धित लोगों को भी आने की इजाजत होगी.
श्रद्धालु को धाम में प्रवेश नहीं दिया जाएगा: तीर्थ पुरोहित
वहीं, कोरोना संकट को देखते हुए तीर्थ पुरोहितों और पंडा समाज की ओर से देवस्थानम बोर्ड के चारधाम यात्रा खोलने के फैसला का विरोध जारी है. गंगोत्री मंदिर समिति के सदस्य राजेश सेमवाल ने कहा कि ऐसे वक्त में जब कोरोना फैल रहा है, हम चारधाम यात्रा खोलने के पक्ष में नहीं हैं. हम धाम में सामान्य रूप से पूजा पाठ करते रहेंगे. लेकिन, जब तक कोरोना खत्म नहीं हो जाता तब तक किसी भी श्रद्धालु को धाम में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में चारधाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं की संख्या तय करना गलत है, हम चारधाम में कोरोना नहीं फैलने देंगे.