नैनीताल: कोरोना वायरस (Coronavirus) के खतरे को देखते हुए शहरी और ग्रामीण इलाकों में व्यापक स्तर पर सैनिटाइजर का प्रयोग किया जा रहा है लेकिन पर्यावरण के जानकार इसे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नया खतरा बता रहे हैं. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में सैनिटाइजर के छिड़काव से कई छोटे कीट-पतंगे और तितलियां मर भी सकती हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पूरी दुनिया में जिस तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण फैल रहा है, उससे शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी भी इसकी चपेट में आ रही है. इसीलिए शहर हो या गांव सब जगह सैनिटाइजर का छिड़काव किया जा रहा है. लेकिन क्या सैनिटाइजर का छिड़काव कोरोना वायरस को भगाने में सक्षम है? और क्या इसके विपरीत प्रभाव तो नहीं पड़ेंगे?


पर्यावरणविदों की माने तो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह काफी घातक साबित हो सकता है. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में जिला पंचायत की तरफ से गांव-गांव में सैनिटाइजर का वितरण किया जा रहा है. सैनिटाइजर  का छिड़काव घरों के आसपास कई जगह पेड़ों में भी किया जा रहा है जिससे पर्यावरणविद काफी चिंतित हैं. उनकी मानें तो इससे कई छोटे कीट-पतंगे और तितलियां भी मर सकती है जो पर्यावरण के मित्र होते हैं.


ये भी पढ़ें- जामनगर में Coronavirus संक्रमण से 14 माह के शिशु की मौत,राज्य में संक्रमण के 175 मामले


आइए आपको बताते हैं कि आखिर सैनिटाइजर पेड़-पौधों और छोटे कीट-पतंगों के लिए इतना खतरनाक क्यों है? दरअसल सैनिटाइजर बनाने में कई हानिकारक रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है जो अत्यंत छोटे जीव जो पर्यावरण के मित्र हैं, उनके लिए यह काफी घातक साबित होता है. सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसान नामक एक केमिकल होता है. इसके अलावा विषैला तत्व बेंजाल्कोनियम क्लोराइड भी होता है, जो कीटाणुओं और बैक्टीरिया को हाथों से बाहर निकाल देता है लेकिन इसके पेड़-पौधों पर और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा छिड़काव का विपरीत असर भी हो सकता है.


इन दिनों बसंत ऋतु का समय है और पर्वतीय क्षेत्रों में फलों के बगीचे फूलों से खिले हुए हैं. नैनीताल के रामगढ़, धारी, ओखल कांडा और भीमताल जैसे इलाकों में से आड़ू, पूलम, खुमानी के बगीचों में फूल ही फूल हैं और परागण की क्रिया जारी है. ऐसे में ज्यादा सैनिटाइजर का छिड़काव इन पेड़-पौधों पर भी असर डाल सकता है. जानकारों की माने तो ग्रामीण इलाके में ज्यादा सैनिटाइजर मधुमक्खियों, तितलियों और कीट-पतंगों को नुकसान पहुंचा सकता है.


ये भी पढ़ें- DNA ANALYSIS: कोरोना वायरस को 'डाउन' करने के लिए कितने दिन चलेगा Lockdown


सैनिटाइजर में खुशबू के लिए फैथलेट्स नामक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है. इसकी मात्रा जिन सैनिटाइजर में ज्यादा होती है. वो इंसान ही नहीं बल्कि पेड़ पौधों और छोटे कीट पतंगों के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है. उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में भी तेजी से सैनिटाइजर का छिड़काव किया जा रहा है और वैज्ञानिक ढंग के बिना ग्रामीण इलाके इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, यह पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है.


LIVE TV